शेरों को चीतों के पर्यावास क्षेत्र में बसाने से चीतों के समक्ष खतरा उत्पन्न

शेरों को चीतों के पर्यावास क्षेत्र में बसाने से चीतों के समक्ष खतरा उत्पन्न

विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में एशियाई शेरों को गुजरात से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (KNP) में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।

  • विशेषज्ञों ने शेरों को इसलिए स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी, क्योंकि गिर (गुजरात) में शेरों की संख्या काफी अधिक हो गई है।
  • साथ ही, किसी एक बीमारी के संक्रमण से इनकी पूरी आबादी के नष्ट होने का खतरा भी पैदा हो सकता है।
  • हालांकि, NTCA ने अब कहा है कि चीतों के पर्यावास क्षेत्र में शेरों को बसाना उचित नहीं है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुसार शेरों को चीतों के पर्यावास क्षेत्र में बसाने से चीतों के समक्ष खतरा उत्पन्न होगा ।
  • इसका कारण यह है कि इससे अंतर – प्रजातीय प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। यह दोनों प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
  • हाल ही में, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को KNP में लाया गया है।
  • इससे पहले, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने गुजरात सरकार के लिए प्रोजेक्ट लायन तैयार किया था। इसमें संरक्षण और पारिस्थितिकी – विकास को एकीकृत करके गुजरात में भू- परिदृश्य पारिस्थितिकी आधारित संरक्षण की परिकल्पना की गई है।
  • इसमें एशियाई शेरों को स्थानांतरित और आबाद करने के लिए बरदा (गुजरात) की पहचान एक संभावित पर्यावास स्थल के रूप में की गई है।

एशियाई शेर के बारे में

  • ये केवल भारत में ही पाए जाते हैं। इनकी आबादी गुजरात में केवल पांच संरक्षित क्षेत्रों में ही पाई जाती है। ये क्षेत्र हैं- गिर राष्ट्रीय उद्यान, गिर अभयारण्य, पनिया अभयारण्य, मितियाला अभयारण्य और गिरनार अभयारण्य ।
  • एशियाई शेर को IUCN की एंडेंजर्ड श्रेणी में रखा गया है ।

खतरा :

  • इन पर बीमारियों से संक्रमित होने का अधिक खतरा है,
  • आनुवंशिक सजातीय प्रजनन के कारण मृत्यु दर अधिक होने का जोखिम है, अवैध शिकार से भी इनकी संख्या कम होती है,
  • मानवीय गतिविधियों से होने वाली दुर्घटनाओं में शेरों की मृत्यु हो रही है आदि ।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एक वैधानिक निकाय है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है ।
  • इसका गठन ‘वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972′ के तहत किया गया है।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आधीन कार्य करता है । पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं ।

उद्देश्य:

  • यह प्रोजेक्ट टाइगर को वैधानिक प्राधिकार प्रदान करता है ।
  • यह टाइगर रिज़र्व के प्रबंधन में केंद्र – राज्य की जवाबदेही को बढ़ावा देता है ।
  • यह टाइगर रिज़र्व के आस-पास के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के आजीविका संबंधी हितों की रक्षा करता है ।

स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स

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