आंध्र प्रदेश में शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (ZBNF) अधिक उपज प्राप्त हुई
आंध्र प्रदेश में शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (ZBNF) से पारंपरिक पद्धतियों की तुलना में अधिक उपज प्राप्त हुई है।
- इस अध्ययन ने जैविक या पारंपरिक खेती की तुलना में ZBNF के माध्यम से काफी अधिक उपज और पोषक तत्वों की अप्रभावित उपलब्धता को रेखांकित किया है। जैविक या पारंपरिक खेती सिंथेटिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर आधारित होती है।
- आंध्र प्रदेश सरकार ‘आंध्र प्रदेश समुदाय प्रबंधित प्राकृतिक कृषि’ (APCNF) कार्यक्रम के तहत रसायन मुक्त खेती पर बल दे रही है।
ZBNF के बारे में
- यह प्राकृतिक कृषि की एक तकनीक है। इसमें रसायनों का उपयोग नहीं होता है। इसमें इनपुट्स की खरीद के लिए अधिक धन खर्च करने या ऋण लेने की कोई जरूरत नहीं है।
- यह 4 स्तंभों पर आधारित पद्धति है । यह पारंपरिक भारतीय प्रथाओं पर आधारित रसायन मुक्त कृषि की एक विधि है।
- ZBNF उत्पादन की लागत को शून्य तक कम कर देती है। इसका कारण यह है कि इसमें खेत में या उसके आसपास उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है।
- इसे मूल रूप से महाराष्ट्र के कृषि विशेषज्ञ सुभाष पालेकर ने प्रचारित किया था ।
- ZBNF को केंद्रीय बजट 2019-20 में प्रस्तुत किया गया था।
ZBNF के लाभ:
- रासायनिक कृषि की अपेक्षा, ZBNF में जल और बिजली की बहुत कम मात्रा की आवश्यकता होती है।
- यह स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके खेती की लागत को कम कर देती है।
- यह मृदा के पोषण, उर्वरता, कीट और बीजों का प्रबंधन करता है ।
शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (ZBNF) के चार स्तंभ
- जीवामृत: स्थानीय रूप से उपलब्ध गाय गोबर और गोमूत्र से जैविक खाद व कीटनाशक बनाना ।
- आच्छादन (Mulching): मृदा में अनुकूल सूक्ष्म – जलवायु (Microclimate) सुनिश्चित करने के लिए की जाने वाली गतिविधियां ।
- बीजामृत: गाय के गोबर एवं गोमूत्र से बीजोपचार करना ।
- व्हापासा: मृदा में वायु और जल के अणुओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है ।
स्रोत – डाउन टू अर्थ