शुक्र गृह में फॉस्फीन गैस की प्राप्ति

शुक्र गृह में फॉस्फीन गैस की प्राप्ति

हाल ही में वैज्ञानिकों की एक टीम ने हवाई के मौना केआ वेधशाला में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल टेलीस्कोप (JCMT) का उपयोग करते हुए शुक्र के वायुमंडल में पहले से अधिक गहन स्तर पर फॉस्फीन (phosphine) का पता लगाया है।

इससे पहले वर्ष 2020 में वैज्ञानिकों की एक टीम ने वैज्ञानिकों ने शुक्र के बादलों में फॉस्फीन गैस की मौजूदगी का पता लगाने की सूचना दी थी ।

उस खोज से शुक्र ग्रह पर जीवन की उपस्थिति के बारे में बहुत कुछ समझने को मिला था, इसका आधार यह था कि फॉस्फीन (जिसके बारे में हालिया अध्ययन से पता चला) पृथ्वी पर जैविक गतिविधि से जुड़ा एक अणु है।

लेकिन अब एक और टीम को लगता है कि फॉस्फीन शुक्र के वायुमंडल में नीचे से आ रही होगी।

शुक्र पर जीवन की संभावना:

विदित हो कि पृथ्वी पर, फॉस्फीन बहुत कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में रहने वाले सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न होता है।

इन शोधकर्ताओं के अनुसार,पृथ्वी ग्रह पर आमतौर पर फॉस्फीन अन्य तरीकों से नहीं बनाई जा सकती  है, क्योंकि पृथ्वी पर “मुक्त” हाइड्रोजन की प्रचुर मात्रा उपलब्ध नहीं है।

इससे पता चलता है कि फॉस्फीन, यदि अन्य दुनिया में पाया जाता है, तो एक संभावित बायोसिग्नेचर है जो जीवन के संकेत देता है ।

इसी खोज के फलस्वरूप तीन वर्ष  पहले वीनस पर फॉस्फीन की खोज ने इतनी हलचल पैदा कर दी थी। हालांकि शुक्र ग्रह की सतह बहुत ही दुर्गम है, यहाँ का तापमान लगभग 900 डिग्री फ़ारेनहाइट (475 डिग्री सेल्सियस) तक पहुँच जाता है, बादलों में लगभग 30 मील (50 किलोमीटर) ऊपर की स्थितियाँ बहुत अधिक शीतोष्ण और पृथ्वी जैसी हैं।

हालांकि कुछ अन्य  वैज्ञानिकों का मत है कि भले ही शुक्र के वातावरण में फॉस्फीन है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस पर जीवन है। बहुत सी अजैविक प्रक्रियाएं, जिनमें से कुछ को हम पूरी तरह से नहीं समझते हैं, शायद वे भी शुक्र पर फॉस्फीन उत्पन्न कर सकती हैं।

फॉस्फीन (PH3)

यह एक फॉस्फोरस परमाणु है जिसमें तीन हाइड्रोजन परमाणु जुड़े होते हैं और यह अत्यधिक विषैली होती है।

फॉस्फीन (PH3) कमरे के तापमान पर एक रंगहीन, ज्वलनशील और विस्फोटक गैस है जिसमें लहसुन या सड़ती मछली जैसी गंध आती है।

फॉस्फीन के संपर्क में आने से मतली, उल्टी, पेट दर्द, दस्त, प्यास, मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और फेफड़ों में तरल पदार्थ हो सकता है। इसके अधिक एक्सपोज़र और लंबे समय तक एक्सपोज़र से गंभीर नुकसान हो सकता है।

फॉस्फीन का उपयोग:

फॉस्फीन का उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है। इसका उपयोग भंडारित अनाज और तम्बाकू में कीड़े और रोडेन्ट्स को मारने के लिए किया जाता है।

शुक्र और पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रहों पर फॉस्फीन का उत्पादन केवल जीवों द्वारा ही हो सकता है, चाहे वह मानव हो या सूक्ष्म जीव।

प्राप्ति:

फॉस्फीन प्राकृतिक रूप से फॉस्फोरस युक्त कार्बनिक पदार्थों के अवायवीय क्षय (anaerobic decay) के माध्यम से बनता है।

फॉस्फीन को औद्योगिक रूप से सफेद फास्फोरस से हाइड्रोलिसिस द्वारा भी बनाया जाता है।

स्रोत – लाइव मिंट

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course