इसरो के शुक्र मिशन ‘शुक्रयान -1’ 2031 में किए जाने की संभावना

इसरो के शुक्र मिशन शुक्रयान 1′ 2031 में किए जाने की संभावना

इसरो के अनुसार शुक्र मिशन के लिए उसे अभी तक भारत सरकार से मंजूरी नहीं मिली है । शुक्र मिशन ‘शुक्रयान -1’ का प्रक्षेपण 2024 की बजाय 2031 में किए जाने की संभावना है ।

  • वर्ष 2031 में, पृथ्वी और शुक्र ग्रह ऐसी स्थिति में होंगे कि अंतरिक्ष यान को शुक्र ग्रह की कक्षा में प्रवेश कराने के लिए न्यूनतम प्रणोदक की आवश्यकता होगी ।
  • शुक्रयान-1 ऑर्बिटर मिशन होगा। इसके वैज्ञानिक पेलोड में हाई – रिज़ॉल्यूशन सिंथेटिक एपर्चर रडार और ग्राउंड- पेनेट्रेटिंग रडार शामिल होंगे।
  • यह मिशन एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा से शुक्र ग्रह की भू-गर्भीय और ज्वालामुखीय गतिविधि, उसके धरातल पर उत्सर्जन, पवनों की गति, बादलों के आवरण तथा अन्य ग्रहीय विशेषताओं का अध्ययन करेगा ।

मिशन से संबंधित चुनौतियां :

  • शुक्र की सतह पर वायुदाब बहुत अधिक होता है । यह पृथ्वी की तुलना में 90 गुना अधिक है।
  • इसका वायुमंडल अत्यधिक जहरीला और सल्फ्यूरिक एसिड से भरा हुआ है। इससे शक्तिशाली ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न होता है ।

शुक्र ग्रह के लिए भेजे गए अन्य मिशन

  • वेनेरा कार्यक्रम (रूस); अकात्सुकी प्रोजेक्ट (जापान);
  • वेरिटास/VERITAS (वीनस एमिसिविटी, रेडियो साइंस, InSAR, टोपोग्राफी, स्पेक्ट्रोस्कोपी),
  • मेरिनर – 2 और मैगलन (नासा);
  • EnVision मिशन (यूरोप) आदि ।

शुक्र ग्रह

  • शुक्र ग्रह सूर्य से दूरी के क्रम में दूसरे स्थान पर है। आकार और द्रव्यमान की दृष्टि से यह सौरमंडल का छठा सबसे बड़ा ग्रह है।
  • इसे पृथ्वी का जुड़वां ग्रह कहा जाता है, क्योंकि दोनों ही ग्रह के आकार, घनत्व और गुरुत्वाकर्षण लगभग समान हैं।
  • इसका तापमान 850 डिग्री फारेनहाइट है । यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है ।
  • सौर मंडल के अन्य ग्रहों के विपरीत यह अपनी धुरी पर पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर घूर्णन करता है ।

एकाकी तरंगें (Solitary Winds: SW)

  • भारतीय वैज्ञानिकों ने नासा के मैवेन ( MAVEN) अंतरिक्ष यान द्वारा रिकॉर्ड किए गए डेटा की मदद से मंगल ग्रह के चुंबकमंडल (magnetosphere) में SW की उपस्थिति के प्रारंभिक प्रमाण की पुष्टि की है।
  • SW विशेष विद्युत क्षेत्र में होने वाले उतार-चढ़ाव ( द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय) हैं, जो निरंतर आयाम – चरण संबंधों का अनुसरण करते हैं । उनके प्रसार के दौरान उनकी आकृति और आकार कम प्रभावित होते हैं।
  • मार्स एटमॉस्फियर एंड वोलेटाइल इवोल्यूशन ( MAVEN) मंगल ग्रह के वायुमंडल व आयनमंडल का अध्ययन कर रहा है। साथ ही, ये मंडल सूर्य और सौर पवनों के साथ कैसे अभिक्रिया कर रहे हैं, इसका भी पता लगा रहा है।

स्रोत – द हिन्दू

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