भारत चंद्रयान-3 की चंद्रमा लैंडिंग साइट का नाम शिव शक्ति पॉइंट
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल को शिव शक्ति पॉइंट के नाम से जाना जाएगा। जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने चंद्रमा पर अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे ‘तिरंगा प्वाइंट’ के नाम से जाना जाएगा ।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रमा पर चंद्रयान -3 की लैंडिंग की उल्लेखनीय उपलब्धि के उपलक्ष्य में 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) के रूप में भी घोषित किया।
विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये घोषणाएं बेंगलुरु में स्थित इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) के दौरान की जहां वह ऐतिहासिक चंद्रयान -3 मिशन के वैज्ञानिकों का स्वागत करने पहुंचे थे ।
मुख्य बिंदु:
- अंतरिक्ष में 40 दिनों की यात्रा के बाद, चंद्रयान -3 मिशन 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा।
- गौरतलब है कि चंद्रमा किसी एक देश के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है – यही वैश्विक अन्वेषण और लैंडिंग मिशन को संभव बनाता है।
- 1966 में, बाह्य अंतरिक्ष मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय बाह्य अंतरिक्ष संधि लेकर आया। हालांकि, संधि चंद्रमा पर स्थलों के नामकरण के बारे में मौन है।
- 2008 के मिशन चंद्रयान-1 के बाद, वह स्थान जहां प्रोब दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी (जैसा कि मिशन के उद्देश्यों के लिए था), का नाम पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पर “जवाहर स्थल”रखा गया था।
चंद्रयान -3 के बारे में:
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला पहला मिशन बनकर चंद्रयान-3 ने इतिहास रच दिया है।दक्षिणी ध्रुव एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी पहले कभी खोज नहीं की गई थी।
- इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित और सहज चंद्र लैंडिंग, रोवर गतिशीलता और अंतःस्थाने वैज्ञानिक प्रयोगों का प्रदर्शन करना था।
- ज्ञातव्य हो कि भारत अब संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के साथ चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाले कुछ देशों में शामिल हो गया है।
ISRO के भविष्य के अभियान:
- चंद्रयान-4: चंद्रमा के विकास के पथ पर आगे बढ़ना। पिछले मिशनों के आधार पर आने वाले समय में नमूना वापसी मिशन के लिये चंद्रयान-4 को भी भेजा जा सकता है।
- सफल होने पर यह चंद्रयान-2 और 3 के बाद अगला तार्किक कदम हो सकता है, जो चंद्र सतह के नमूनों को पुनः प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करेगा। यह मिशन चंद्रमा की संरचना और इतिहास के बारे में हमारी समझ को विस्तृत करने में मदद करेगा।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस