शहरी गैस वितरण (CGD) नेटवर्क वर्ष 2030 तक भारत की 70% आबादी तक पहुँच
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी गैस वितरण (City Gas Distribution CGD) नेटवर्क वर्ष 2030 तक भारत की 70% आबादी तक पहुँच स्थापित कर सकता है।
इससे पूर्व पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) ने 10वें CGD नेटवर्क के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की थी। इसके पूर्ण होने पर 71% जनसंख्या के शहरी गैस वितरण नेटवर्क के अंतर्गत आने की अपेक्षा की गई है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2011 में 20% से भी कम जनसंख्या इस नेटवर्क के दायरे अंतर्गत थी।
शहरी गैस वितरण (CGD) नेटवर्क प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने के लिए पाइपलाइनों का एक परस्पर संबद्ध नेटवर्क है। यह वितरण घरों में व औद्योगिक उपयोगों के लिए पाइप्ड प्राकृतिक गैस (Piped Natural Gas: PNG) और परिवहन संबंधी उपयोगों के लिए संपीडित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas: CNG) के रूप में होता है।
प्राकृतिक गैस कोयले और अन्य तरल ईंधन की तुलना में एक बेहतर ईंधन है, क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल, अधिक सुरक्षित और सस्ता है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (Petroleum and Natural Gas Regulatory Board: PNGRB) देश के निर्दिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में CGD नेटवर्क के विकास हेतु अनुमति प्रदान करता है।
CGD नेटवर्क के लाभः घरों में खाना पकाने के ईंधन की निर्बाध आपूर्ति, औद्योगिक प्रदूषण से निपटना, गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना, कार्बन उत्सर्जन में कमी आदि।
CGD को बढ़ावा देने हेतु आरंभ की गई पहलें:
- औद्योगिक विवाद अधिनियम (Industrial Disputes Act), 1947 के तहत CGD को लोक उपयोगी सेवा का दर्जा प्रदान किया गया है।
- MoPNG ने घरेलू गैस आवंटन में CGD क्षेत्र के PNG (घरेलू) और CNG (परिवहन) खंडों को प्राथमिकता प्रदान की है।
- MoPNG ने राज्यों द्वारा अंगीकृत करने के लिए CGD की एक प्रारूप नीति तैयार की है।
स्रोत – पी आई बी