व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक
हाल ही में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति श्री बी.एन. श्रीकृष्ण ने कहा है कि भारत को अब एक सुदृढ़ व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक की आवश्यकता है।
मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों आदि पर NSO समूह के पेगासस स्पाइवेयर द्वारा निगरानी की कथित रिपोर्ट के बीच, न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण ने कहा कि डेटा संरक्षण कानून किसी भी निजी संस्था या सरकार को जवाबदेह बनाएगा। साथ ही, पीड़ितों की निजता के उल्लंघन के लिए कानूनी निवारण भी प्रदान करेगा।
न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण ने मूल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (Personal Data Protection: PDP) विधेयक का प्रारूपतैयार करने वाली सरकार की समिति की अध्यक्षता की थी।
इससे पूर्व वर्ष 2019 में PDP विधेयक संसद में प्रस्तुत किया गया था
- यह व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा का प्रावधान करता है, ऐसे व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने के लिए एक ढांचा तैयार करता है और इस उद्देश्य के लिए एक डेटा सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना का उपबंध करता है।
- हाल ही में, इस विधेयक की जांच के लिए वर्ष 2019 में गठित संसद की संयुक्त समिति (UCP) को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए शीतकालीन सत्र तक का समय दिया गया था।
- वर्ष 2017 में, उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक न्यायमूर्ति के. एस. पुडास्वामी बनाम भारत संघ वाद में, अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत निजता को मूल अधिकार के रूप में मान्यता प्रदान की थी।
- निजता भंग होने की स्थिति में कोई भी व्यक्ति अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचार का अधिकार) के तहत उच्चतम न्यायालय का आश्रय ले सकता है।
- व्यक्तिगत डेटा वह डेटा होता है, जो पहचान की विशेषताओं, लक्षणों या भाव से संबंधित होता है। इस डेटा का उपयोग किसी व्यक्ति की पहचान के लिए किया जा सकता है।
स्रोत – द हिन्दू