वैश्विक स्वर्ण भंडार
हाल ही में जारी ‘वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल’ की रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर के केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था संबंधी चिंताओं के कारण अपना स्वर्ण भंडार बढ़ा रहे हैं।
इसके अनुसार दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में रिकॉर्ड स्तर पर सोने की खरीदारी की है।
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के दौरान ज्ञात खरीदारों में तीसरा सबसे बड़ा खरीदार है। इसने अपने स्वर्ण भंडार में 17.5 टन सोने की बढ़ोतरी की है।
इस प्रवृत्ति के कारण
- आर्थिक अनिश्चितता : वर्तमान में उच्च मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ रहा है। साथ ही,वैश्विक संवृद्धि को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है।
- ऐसे समय में, सोने का उपयोग बिना किसी चूक (डिफॉल्ट) जोखिम के मुद्रास्फीति से बचने के लिए एक साधन के रूप में किया जा सकता है।
- ऐतिहासिक रूप से सोना हमेशा से किसी देश के कोष का एक महत्वपूर्ण घटक रहा है।
- डॉलर के अधिमूल्यन (Appreciation) के कारण देश के समग्र भंडार में इसका भारांश बढ़ जाता है।
- सोना इस भंडार को इसके आवश्यक रणनीतिक स्तर पर पुनसंतुलित कर सकता है।
- अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के आधिपत्य से निपटने हेतु सत्तावादी (Authoritarian) सरकारों के केंद्रीय बैंक सोने पर निर्भर रहते हैं।
- सोने के आयात का प्रभाव सरकारों के केन्द्रीय बैंक सोने पर निर्भर करता है।
सोने के आयात को कम करने के लिए पहलें
- स्वर्ण मुद्रीकरण योजनाः इसका उद्देश्य देश में परिवारों और संस्थानों के पास रखे सोने को एकत्र करना तथा उत्पादक उद्देश्यों के लिए इसके उपयोग को सुविधाजनक बनाना है।
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (SGBs): SGBs स्वर्ण की ग्राम में अंकित सरकारी प्रतिभूतियां हैं।
- ये भौतिक सोने में निवेश के विकल्प के रूप में कार्य करती हैं।
- सोने के आयात पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी की गई है।
स्रोत – द हिन्दू