वैश्विक मीथेन आकलन रिपोर्ट 2030
हाल ही में वैश्विक मीथेन आकलन 2030 बेसलाइन रिपोर्ट जारी की गई है।
यह रिपोर्ट क्लाइमेट एंड क्लीन एयर कोएलिशन तथा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने जारी की है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- वायुमंडल में मीथेन की मात्रा औद्योगीकरण से पूर्व के स्तरों से 260% अधिक है।
- वर्ष 2021 में अब तक की सर्वाधिक वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई थी।
- मानव-जनित मीथेन उत्सर्जन वर्तमान निवल तापवृद्धि के लगभग 45% के लिए जिम्मेदार है।
- वर्तमान में प्रतिवर्ष 350-390 मिलियन टन मीथेन का उत्सर्जन हो रहा है।
- मीथेन उत्सर्जन में कृषि, जीवाश्म ईंधन ऊर्जा और अपशिष्ट की सर्वाधिक हिस्सेदारी है।
- वर्तमान में उत्सर्जन कटौती के लिए जो उपाय लक्षित किए गए हैं, उनसे वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में 45% तक की कमी की जा सकती है।
मीथेन के बारे में
- मीथेन (CH4) प्राकृतिक गैस का प्राथमिक घटक है। यह कुल वैश्विक तापवृद्धि के 25 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार है।
- मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है। यदि यह वायुमंडल में 20 वर्षों तक बनी रहती है, तो इसकी वैश्विक तापवृद्धि क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की तुलना में 80 गुना अधिक हो जाती है।
- मीथेन क्षोभ मंडलीय ओजोन के निर्माण की वृद्धि में लगभग 50% का योगदान देती है। भारत दुनिया के 5 सर्वाधिक मीथेन उत्सर्जकों में शामिल है।
- उत्सर्जन में कमी करने के लिए वैश्विक मीथेन संकल्प के तहत वर्ष 2040 से वर्ष 2070 के बीच तापवृद्धि को कम-से-कम 2 डिग्री सेल्सियस तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत वैश्विक मीथेन संकल्प का सदस्य नहीं है।
स्रोत – द हिन्दू