हाल ही में उच्चतम न्यायालय (SC) ने स्पष्ट किया है कि, भुखमरी से पीड़ित लोगों को भोजन उपलब्ध कराना लोक कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी है।
- किसी की भी भूख से मृत्यु न हो, यह सुनिश्चित करना एक कल्याणकारी राज्य का पहला कार्य है। इस तथ्य पर बल देते हुए, SC ने केंद्र सरकार को सामुदायिक रसोई योजना पर अखिल भारतीय नीति तैयार करने के लिए 3 सप्ताह का समय दिया है।
- ध्यातव्य है कि पिछले महीने, SC ने केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ चर्चा के बाद अखिल भारतीय सामुदायिक रसोई स्थापित करने कीयोजना बनाने का निर्देश दिया था।
- सामुदायिक रसोई ऐसी संस्थाएं हैं, जो निशुल्क भोजन उपलब्ध कराती हैं। भारत में सामुदायिक रसोई के कुछ उदाहरण अन्नपूर्णा रसोई (राजस्थान), अन्ना कैंटीन (आंध्र प्रदेश) आदि हैं।
ये निम्नलिखित के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभरी हैं:
- यह उन लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है, जो स्वयं की देखभाल नहीं कर सकते (जैसे- बुजुर्ग, बीमार, दिव्यांग, निराश्रित आदि)।
- शहरी क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोग (रिक्शा चालक से लेकर डिलीवरी बॉय तक) सस्ते औरपौष्टिक भोजन का लाभ उठा सकते हैं।
- एक खाद्यान्न अधिशेष देश होने के बावजूद, भारत भुखमरी और कुपोषण के मुद्दों को हल करने में पिछड़ा हुआ है।
- वर्ष 2021 वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index) में भारत की रैंक 94 से घटकर 101 हो गई थी।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (वर्ष 2017 की रिपोट) ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि लगभग 19 करोड़ लोग प्रतिदिन भूखे सोने को विवश हैं।
सरकार द्वारा आरम्भ की गई पहलें: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013, पोषण अभियान, मध्याह्न भोजन योजना, समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) योजना इत्यादि।
स्रोत –द हिन्दू
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