हाल ही में वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2021 जारी की गई है ।
वैश्विक पोषण रिपोर्ट, वैश्विक पोषण की स्थिति का प्रमुख और स्वतंत्र मूल्यांकन प्रदान करती है। यह डेटा आधारित रिपोर्ट है। इसे प्रगति और चुनौतियों को रेखांकित करने के लिए प्रतिवर्ष जारी किया जाता हैं ।
प्रमुख निष्कर्ष
- कोई भी क्षेत्र स्वस्थ आहार के लिए की गई सिफारिशों का पालन नहीं कर रहा है।
- कुपोषण को समाप्त करने की वित्तीय लागत बढ़ रही है। हालांकि, पोषण में निवेश करने से समाज को होने वाला कुल आर्थिक लाभ वर्ष 2030 तक 5.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष तक पहुंच सकता है।
- विकास के लिए पोषण (NAG) एक वैश्विक प्रयास है। यह प्रयास सभी हितधारकों को एकजुट करता है, ताकि अपर्याप्त आहार और कुपोषण के सभी रूपों से निपटने के लिए प्रगति को तीव्र किया जा सके। निर्णय निर्माताओं द्वारा N4G का लाभ उठाया जाना चाहिए।
भारत के संदर्भ में निष्कर्ष
- भारत ने रक्ताल्पता (एनीमिया) और बाल दुबलेपन पर कोई प्रगति नहीं की है। ज्ञातव्य है कि 53% भारतीय महिलाएं रक्ताल्पता से ग्रसित हैं तथा 5 वर्ष से कम आयु के 17.3% बच्चे दुबलेपन से प्रभावित हैं।
- भारत ठिगनेपन (Stunting), विशेष रूप से स्तनपान पर निर्भर और अधिक वजन (overweight) वाले बच्चों से संबंधित लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर है।
- 5 वर्ष से कम आयु के 4.7% बच्चे ठिगनेपन से पीड़ित हैं।
- दूसरी ओर 5 वर्ष से कम आयु के 1.6% बच्चे अधिक वजन की समस्या से ग्रस्त हैं।
- ठिगनेपन को आयु के अनुरूप कम लंबाई के रूप में परिभाषित किया गया है।
- भारत ने आहार संबंधी गैर-संचारी रोगों के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सीमित प्रगति की है।
स्रोत – द हिन्दू