वैश्विक जल संसाधन स्थिति (SGWR) 2021 रिपोर्ट जारी
हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने अपनी पहली वैश्विक जल संसाधन स्थिति (SGWR) 2021 रिपोर्ट जारी की है।
- यह रिपोर्ट पृथ्वी के जल संसाधनों पर जलवायु, पर्यावरण और सामाजिक परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करती है।
- यह रिपोर्ट धारा प्रवाह, स्थलीय जल भंडारण (TWS) और क्रायोस्फीयर की स्थितियों का उल्लेख करती है ।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- हिमनदों के पिघलने में वृद्धि के साथ, वार्षिक हिमनद प्रवाह तब तक बढ़ता रहता है, जब तक कि “पीक वॉटर जैसी जल न्यूनता की स्थिति नहीं आ जाती । इसके बाद प्रवाह कम हो जाता है।
- वर्ष 2001 और 2018 के बीच घटित सभी प्राकृतिक आपदाओं में से 74% जल से संबंधित थीं।
- विश्व में 6 अरब लोगों को प्रति वर्ष कम-से-कम एक महीने जल की अपर्याप्त उपलब्धता का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2050 तक 5 अरब लोग इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे होंगे।
- हिमनदों का निरंतर पिघलना कई दशकों की अवधि में हिमनदों में हिम / बर्फ की मात्रा में बहुत बड़ी कमी को स्पष्ट रूप से दर्शाता है ।
प्रमुख सुझाव
- राष्ट्रीय स्तर पर डेटा एकत्र करने में आ रही क्षमता संबंधी कमियों को दूर करने में निवेश किया जाना चाहिए ।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जल – विज्ञान संबंधी डेटा के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ।
- सूखा और बाढ़ की आरंभिक चेतावनी प्रणालियों का समग्र विकास किया जाना चाहिए।
- ‘वैश्विक जल संसाधनों की वार्षिक स्थिति तैयार करने के लिए एक वैश्विक जल विज्ञान संबंधी समुदाय के रूप में मिलकर कार्य करने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
धारा अपवाह (Streamflow): यह किसी भी समय नदी अपवाह के माध्यम से बहने वाले जल की मात्रा है ।
स्थलीय जल भंडारण (Terrestrial Water Storage): यह कैनोपी, हिम और बर्फ, नदियों, झीलों व जलाशयों, आर्द्रभूमि, मृदा तथा भूजल में भंडारित महाद्वीपीय जल का योग है।
क्रायोस्फीयर: यह पृथ्वी पर जमी हुई जलराशि है, जैसे- हिमपात, हिम, बर्फ, समुद्री बर्फ, हिमशैल, हिमनद आदि ।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO):
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) 192 देशों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है।
- इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसे वर्ष 1873 के वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस के बाद स्थापित किया गया था।
- 23 मार्च, 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा स्थापित WMO, मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान तथा इससे संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान हेतु संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गई है।
- WMO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। भारत विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य देश है।
स्रोत – द हिन्दू