वैश्विक जलवायु चुनौती से निपटने में शहरों की भूमिका संबंधी रिपोर्ट
हाल ही में विश्व बैंक ने ‘थ्राइविंग मेकिंग सिटीज ग्रीन, रेजिलिएंट एंड इंक्लूसिव इन ए चेंजिंग क्लाइमेट’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है।
इस रिपोर्ट में वैश्विक जलवायु चुनौती से निपटने में शहरों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य –
- शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या 1970 से 2022 के बीच 19 बिलियन से बढ़कर 4.46 बिलियन हो गई है।
- शहर, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 70% के लिए जिम्मेदार हैं।
- प्रति व्यक्ति आधार पर, उच्च और उच्च-मध्यम आय वाले देशों के शहरों में जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन सबसे अधिक है। इसके विपरीत, निम्न आय वाले देशों के शहरों में CO2 का उत्सर्जन बहुत कम है।
- उत्तरी अमेरिका के शहर प्रति व्यक्ति सर्वाधिक उत्सर्जन करते हैं, जबकि उप-सहारा अफ्रीका के शहर औसतन सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन करते हैं । वैश्विक शहरी CO2 उत्सर्जन में निम्न आय वाले देशों के शहरों की हिस्सेदारी केवल 14% है।
शहरों को हरा-भरा बनाने में चुनौतियां:
शहरों में अत्यधिक गर्मी और सूखे जैसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ती जा रही है; वैश्विक समुद्र – स्तर में वृद्धि से तटीय शहरों के लिए बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है;
शहरीकरण के खंडित, असंबद्ध और बिखरे हुए पैटर्न आदि ।
रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें
एकीकृत हरित शहरी योजना निर्माण रणनीतियों को अपनाया जाना चाहिए। ये रणनीतियां ग्रीन स्पेस और संधारणीय अवसंरचना में निवेश सहित परस्पर जुड़ी चुनौतियों का समाधान करती हैं।
कृषि उत्पादकता में वृद्धि और खाद्य की हानि एवं बर्बादी को कम करके शहरों के क्षैतिज विस्तार के प्रभावों को कम किया जा सकता है।
स्रोत – वर्ल्ड बैंक