वैश्विक ग्रीनहाउस गैस निगरानी अवसंरचना (GGGMI) योजना

वैश्विक ग्रीनहाउस गैस निगरानी अवसंरचना (GGGMI) योजना

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की कार्यकारी परिषद ने वैश्विक ग्रीनहाउस गैस निगरानी अवसंरचना (GGGMI) योजना का समर्थन किया है।

GGGMI का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से संबंधित महत्वपूर्ण सूचनाओं की कमी को दूर करना तथा उत्सर्जन कटौती के लिए कार्रवाई का समर्थन करना है । ग्रीनहाउस गैसें ऊष्मा को वायुमंडल में रोककर तापवृद्धि में योगदान देती हैं।

वर्तमान में, ऐसा कोई भी स्थलीय और अंतरिक्ष-आधारित ग्रीनहाउस गैस (GHGs) पर्यवेक्षण या प्रतिरूपण (modelling) उत्पाद उपलब्ध नहीं है, जिसका व्यापक रूप से एवं समय पर अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान किया जा सके ।

GGGMI में चार मुख्य घटक शामिल होंगे:

CO2, मीथेन (CH4) तथा नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) सांद्रता के स्थल – आधारित और उपग्रह – आधारित पर्यवेक्षणों का एक वैश्विक सेट तैयार किया जाएगा।

गतिविधि संबंधी डेटा और प्रक्रिया – आधारित मॉडल्स के आधार पर GHG उत्सर्जन का पूर्वानुमान लगाया जाएगा ।

GHG चक्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वैश्विक हाई – रिज़ॉल्यूशन पृथ्वी प्रणाली मॉडल्स का एक सेट तैयार किया जाएगा।

ऐसी डेटा समावेशन प्रणालियां विकसित की जाएंगी, जो पर्यवेक्षणों को आदर्श गणनाओं के साथ बेहतर ढंग से जोड़ेंगी।

GHGs के बारे में

ऐसी गैसें, जो वायुमंडल में ऊष्मा को रोक लेती हैं, GHG कहलाती हैं। मुख्य GHGs जिनकी सांद्रता बढ़ रही है, वे हैं:

CO2, मीथेन (CH4), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs), हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) और निचले वायुमंडल में स्थित ओजोन ।

CO, कई दशकों तक वायुमंडल में बनी रहती है ।

मीथेन तापवृद्धि के मामले में अत्यधिक शक्तिशाली गैस है, लेकिन इसका जीवनकाल लगभग 10 वर्षों का है, जो तुलनात्मक रूप से कम है ।

प्राकृतिक स्रोतों और कृषि से उत्सर्जित नाइट्रस ऑक्साइड तीसरी सबसे प्रबल GHG है।

WMO वायुमंडल में उपस्थित GHGs की उस सांद्रता को मापता है, जो महासागर और जैवमंडल द्वारा अवशोषित करने के बाद भी वायुमंडल में बनी रहती है।

मौसम विज्ञान संगठन (IMO)

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) 192 देशों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है। भारत विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य देश है।

इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसे वर्ष 1873 के वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कांग्रेस के बाद स्थापित किया गया था।

23 मार्च 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा स्थापित WMO, मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान तथा इससे संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान हेतु संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गई है।

WMO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।

यह पृथ्वी के वातावरण की स्थिति और व्यवहार, भूमि एवं महासागरों के साथ इसकी अंतःक्रिया और इसके द्वारा उत्पन्न मौसम व जलवायु तथा इनके परिणामस्वरूप जल संसाधनों के वितरण पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय के प्रति समर्पित एक संस्था है।

विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस इसकी सर्वोच्च संस्था है ।यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है।

स्रोत – द हिन्दू

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