WRI के अनुसार, 2022 में वैश्विक उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वन क्षेत्र में निरंतर गिरावट
हाल ही में जारी वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI) के अनुसार, 2022 में वैश्विक उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वन क्षेत्र में निरंतर गिरावट जारी है।
WRI के ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के एक नए अध्ययन के अनुसार, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 4.1 मिलियन हेक्टेयर वन क्षेत्र नष्ट हो गया है। इसके परिणामस्वरूप, 2.7 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ है।
वर्ष 2030 तक निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर साल वैश्विक स्तर पर होने वाली वनों की कटाई में कम-से-कम 10 प्रतिशत तक की कमी लाने की आवश्यकता है।
इन लक्ष्यों के तहत वर्ष 2030 तक वनों की कटाई को समाप्त करना तथा 350 मिलियन हेक्टेयर वन क्षेत्र को बहाल करना है ।
हालांकि, 2022 में प्राथमिक, द्वितीयक और रोपित वनों सहित कुल वैश्विक वृक्ष आवरण हानि में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी ।
प्राथमिक वन: ये ऐसे परिपक्व एवं प्राकृतिक वन हैं, जिनमें हालिया कुछ वर्षों से मानव हस्तक्षेप नहीं हुआ है। ये अन्य वनों की तुलना में अधिक कार्बन संग्रहित करते हैं और जैव विविधता के समृद्ध स्रोत हैं। इनकी क्षति की भरपाई नहीं हो सकती है।
द्वितीयक वन: ये वन प्राथमिक वनों की कटाई के बाद उसके स्थान पर प्राकृतिक रूप से विकसित होते हैं। ये प्राकृतिक वन की तुलना में अधिक सजातीय होते हैं। इनमें आमतौर पर प्रजातियों की सीमित संख्या पाई जाती है यहां तक कि पुराने हो चुके वनों में भी।
रोपित वन: ये मुख्य रूप से पौधे या बीज बोकर स्थापित किए गए वन क्षेत्र होते हैं। इनमें पाए जाने वाले वृक्ष आमतौर पर एक ही प्रजाति के होते हैं, भले ही वे देशज हों या विदेशी । उनका जीवन काल भी एक जैसा होता है।
भारत में 2021 और 2022 के बीच 43.9 हजार हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन नष्ट हो गए हैं।
WRI के बारे में
यह 1997 में स्थापित एक वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन है ।
कार्य:
यह लोगों की अनिवार्य जरूरतों को पूरा करने के लिए विश्व स्तर पर और फोकस में रहे कुछ देशों में काम करता है;
प्रकृति की रक्षा और पुनर्बहाली करना; तथा जलवायु की स्थिरता को बनाए रखना और समुदायों में लचीलेपन का निर्माण करना ।
WRI ने फॉरेस्ट फ्रंटियर्स इनिशिएटिव के हिस्से के रूप में 1997 में ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की स्थापना की थी ।
इसकी शुरुआत वनों की स्थिति के बारे में अपडेटेड रिपोर्ट तैयार करने वाले गैर-सरकारी संगठनों के एक नेटवर्क के रूप में हुई थी। वर्ष 2019 तक यह 82 देशों (भारत सहित ) से संबंधित डेटा प्रदान करता था ।
स्रोत – द हिन्दू