वैश्विक इंटरनेट शटडाउन की सूची
हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक इंटरनेट शटडाउन की सूची में भारत शीर्ष पर है।
यह रिपोर्ट एक गैर-लाभकारी संगठन एक्सेस नाउ एंड कीपइटऑन कोएलिशन ने जारी की है।
इस रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:
- भारत ने पिछले साल 84 बार इंटरनेट शटडाउन लागू किए। इसके कारण भारत इंटरनेट शटडाउन करने का आदेश देने वाले देशों की सूची में सबसे ऊपर है ।
- जम्मू और कश्मीर में सबसे अधिक बार इंटरनेट शटडाउन लागू किए गए। इसके बाद राजस्थान तथा पश्चिम बंगाल का स्थान है।
- इंटरनेट शटडाउन के कारणों में शामिल हैं- विरोध-प्रदर्शन, स्कूली परीक्षाएं और चुनाव आयोजन।
- इंटरनेट शटडाउन, इंटरनेट और डिजिटल संचार सुविधाओं तक पहुंच को जानबूझकर बाधित करना है।
- वर्तमान में, दूरसंचार सेवाओं का निलंबन (इंटरनेट शटडाउन सहित) दूरसंचार सेवा अस्थायी निलंबन (लोक आपात और लोक सुरक्षा) नियम, 2017 द्वारा शासित है।
- ये नियम भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत अधिसूचित किए गए हैं।
- वर्ष 2017 के नियम लोक आपात की स्थिति के आधार पर किसी क्षेत्र में दूरसंचार सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद करने का प्रावधान करते हैं। ये सेवाएं एक बार में 15 दिनों तक बंद की जा सकती हैं।
- केवल संघ या राज्य के गृह सचिव ही इंटरनेट शटडाउन का आदेश जारी कर सकते हैं। एक समिति इस आदेश की 5 दिनों के भीतर समीक्षा करती है।
- अपरिहार्य परिस्थितियों में केंद्र या राज्य के गृह सचिव द्वारा अधिकृत संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के स्तर का अधिकारी भी इंटरनेट शटडाउन का आदेश जारी कर सकता है।
इंटरनेट शटडाउन के प्रभावः
- यह सभी क्षेत्रकों में अधिक आर्थिक नुकसान पहुंचाता है। इसके कुछ प्रमुख उदाहरण – वित्तीय लेन-देन, वाणिज्य और उद्योग हैं।
- इंटरनेट शटडाउन का शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य लोक सेवाओं जैसी मूलभूत सेवाओं पर प्रभाव पड़ता है।
- यह लोगों को उनके प्रियजनों तक पहुंचने के उनके सबसे सुगम साधन से वंचित कर मानसिक आघात पहुंचाता है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस