वैभव (VAIBHAV) नामक एक नया फैलोशिप कार्यक्रम
हाल ही में भारत सरकार ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा (STEMM) तथा भारतीय शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों में भारतीय डायस्पोरा के बीच सहयोग की सुविधा हेतु वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (VAIBHAV) नामक एक नया फैलोशिप कार्यक्रम शुरू किया है।
वैभव शिखर सम्मेलन भी भारतीय STEMM प्रवासियों को भारतीय संस्थानों के साथ जोड़ने के लिये समर्पित एक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था ।
वैभव फेलोशिप योजना:
- वैभव (VAIBHAV) फैलोशिप का उद्देश्य विदेशी संस्थानों से भारत में संकाय/शोधकर्त्ताओं की गतिशीलता के माध्यम से भारतीय संस्थानों एवं विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के बीच शैक्षणिक तथा अनुसंधान सहयोग की सुविधा प्रदान करके भारत के उच्च शिक्षा एवं वैज्ञानिक संस्थानों के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना है।
- यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
वैभव फैलोशिप (VAIBHAV Fellowship) कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:
- नॉलेज वर्टिकल्स: कार्यक्रम 18 पहचाने गए नॉलेज वर्टिकल्स पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिनमें क्वांटम टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, औषध क्षेत्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि, ऊर्जा, कंप्यूटर और विज्ञान शामिल हैं।
- पात्रता: फैलोशिप भारतीय मूल के उत्कृष्ट वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों (प्रवासी भारतीय (NRI)/भारतीय मूल के अनिवासी भारतीय (PIO)/भारत के प्रवासी नागरिक (OCI) के लिये खुली है, जो सक्रिय रूप से अपने संबंधित देशों में अनुसंधान गतिविधियों में संलग्न हैं।
- सहयोग अवधि: चयनित अध्येताओं को भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI), विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक वित्तपोषित वैज्ञानिक संस्थानों के साथ मिलकर शोधकार्य करने का अवसर मिलेगा। वे अपनी पसंद के भारतीय संस्थान में प्रतिवर्ष दो महीने, अधिकतम तीन वर्ष तक निवास कर सकते हैं।
- फैलोशिप के लिये अनुदान: यह यात्रा, आवास और आकस्मिकता, अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू यात्रा व्यय, आवास तथा आकस्मिकताओं के साथ फैलोशिप शोध के लिये अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करेगा।
प्रवासी भारतीयों को शामिल करने वाली अन्य सरकारी पहलें:
- भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करने हेतु प्रत्येक वर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) मनाया जाता है।
- नो इंडिया प्रोग्राम (KIP) प्रवासी समुदाय से जुड़ाव हेतु विदेश मंत्रालय (MEA) की एक प्रमुख पहल है, जो भारतीय मूल के युवाओं (18-30 वर्ष) को उनकी भारतीयता और समकालीन भारत से परिचित कराता है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की वज्र (विजिटिंग एडवांस्ड जॉइंट रिसर्च) फैकल्टी स्कीम NRI और विदेशी वैज्ञानिक समुदायों को भारत में अनुसंधान एवं विकास में भाग लेने तथा योगदान करने में सक्षम बनाती है।
स्रोत – द हिन्दू