वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की बैठक
हाल ही में ‘वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद’ (Council of Scientific and Industrial Research-CSIR) सोसायटी की बैठक का आयोजन किया गया, यह बैठक वर्चुअल माध्यम से संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता भारतीय प्रधानमंत्री ने की।
मुख्य बिंदु:
- विदित हो कि कुछ समय पूर्व CSIR ने भारत के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘फ्लोरीकल्चर मिशन’ (CSIR Floriculture Mission) को लागू करने की मंज़ूरी दी गई थी।
- इसके अलावा CSIR कोविड महामारी के लिये अद्वितीय आनुवंशिक लक्षण, संवेदनशीलता (और प्रतिरोधकता) को निर्धारित करने हेतु लगभग 1000 ग्रामीण युवाओं के नमूने की जीनोम अनुक्रमण करने की योजना पर भी कार्य कर रहा है।
CSIR के बारे में:
- ‘वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद’ भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) हेतु समर्पित एक संगठन है। इस संगठन की स्थापना सितंबर 1942 में नई दिल्ली में हुई थी इसकी भारत में कुल 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालायें, 39 दूरस्थ केंद्र, 3 नवोन्मेषी परिसर और 5 इकाइयोंका नेटवर्क है। जिनके माध्यम से यह अपने अनुसंधान के कार्य संपन्न करता है ।
- ‘स्किमागो इंस्टीट्यूशंस रैंकिंग वर्ल्ड रिपोर्ट ‘2021 के अनुसार, यह संसार के 1587 सरकारी संस्थानों में 37वें स्थान पर है ।और वैश्विक रूप से शीर्ष 100 सरकारी संस्थानों में एकमात्र भारतीय संगठन है।एशियामहाद्वीप में CSIRसातवेंस्थान पर है।
- भारत के प्रधानमंत्री इस संगठन का पदेन अध्यक्ष होता है। एवं केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री इसका उपाध्यक्ष होता है।
- भारत का ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ द्वारा CSIR को वित्तपोषण किया जाता है। तथा यह ‘संस्था पंजीकरण अधिनियम’, 1860 के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में पंजीकृत है।
CSIR का उद्देश्य:
यह संस्थान भारत के राष्ट्रीय महत्त्व से संबंधित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान के लिए कार्य करता है। यह मुख्यतः रेडियो एवं अंतरिक्ष भौतिकी (Space Physics), समुद्र विज्ञान (Oceanography), भू-भौतिकी (Geophysics), रसायन, ड्रग्स, जीनोमिक्स (Genomics), जैव प्रौद्योगिकी और नैनोटेक्नोलॉजी से लेकर खनन, वैमानिकी (Aeronautics), उपकरण विज्ञान (Instrumentation), पर्यावरण अभियांत्रिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करता है।
इसके अलावा यह सामाजिक क्षेत्र के उत्थान हेतु, पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा, कृषि-क्षेत्र और गैर-कृषि क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण तकनीकी उन्नयन के क्षेत्र में भी कार्य करता है।
CSIR की कुछ प्रमुख पहलें:
कोविड-19 से संबंधित:
COVID -19 महामारी की स्थिति से निपटने के लिये CSIR ने 5 प्रौद्योगिकी कार्यक्षेत्र जारी किये हैं :
- डिजिटल और आणविक निगरानी।
- रैपिड तथा किफायती निदान।
- औषधियों, वैक्सीन और कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा थेरेपी का पुनर्प्रयोजन (Repurpose)।
- अस्पताल सहायक उपकरण और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protective Equipment- PPE)
- आपूर्ति शृंखला और लॉजिस्टिक्स समर्थन प्रणाली।
सामरिक क्षेत्र में:
सामरिक क्षेत्र में CSIR ने भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेज़स के लिये ‘हेड-अप-डिस्प्ले’ (HUD) विकसित किया है। ‘हेड-अप-डिस्प्ले’विमान की उड़ान और हथियार निशान सटीकता सहित महत्त्वपूर्ण उड़ान युद्धाभ्यास में विमान चालक की सहायता करता है।
ऊर्जा तथा पर्यावरण के क्षेत्र में:
उर्जा के क्षेत्र में लिथियम-आयन बैटरी एवं सोलरट्री (Solar Tree) जैसे उपकरणों का आविष्कार। CSIR ने ‘4.0 V/14 h’ मानक क्षमता वालीभारत की पहली स्वदेशी लिथियम आयन बैटरीबनाई ।
कृषि के क्षेत्र में:
- चावल की प्रजाति : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने ‘ICAR’के साथ मिलकर ‘सांबामसूरी चावल’ की एक बेहतर बैक्टीरियलब्लाइट प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्म विकसित की है। इसके अलावा चावल की किस्म (मुक्ताश्री): किस्म विकसित की जोआवश्यक सीमा से अधिक आर्सेनिक को अवशोषित करने से रोकती है।
- एक ट्रांसजेनिक कपास किस्म विकसित की गई जो कि सफेद-मक्खी (Whitefly) के लिये प्रतिरोधी है।
स्वास्थ्य-देखभाल क्षेत्र में:
नैदानिक समस्याओं को हल करने के संदर्भ में रोग जीनोमिक्स का एक मंच प्रदान करने हेतु CSIR द्वारा ‘GOMED’ (Genomics and other Omics Technologies for Enabling Medical Decision) को विकसित किया गया है।
खाद्य एवं पोषण के क्षेत्र में:
- 10 पैसे की लागत पर 45 सेकंड में दूध में मिलावट स्तर और मिलावटी पदार्थ का पता लगाने के लिए क्षीर स्कैनर (Ksheer-scanner) का आविष्कार CSIR द्वारा किया गया है।
- CSIR ने आयोडीन और आयरन के साथ डबल फोर्टिफाइड नमक (Double-Fortified Salt)का विकास किया जो लोगों में एनीमिया रोग को दूर कर सकता है।
स्रोत – पीआईबी