वेस्ट नाइल वायरस

हाल ही में रूस ने इस शरद ऋतु में वेस्ट नाइल वायरस के संक्रमण के मामलों में वृद्धि की संभावना के बारे में चेतावनी जारी की क्योंकि हल्का तापमान और भारी वर्षा वायरस ले जाने वाले मच्छरों के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं।

मुख्य बिंदु

वेस्ट नाइल बुखार के 80 प्रतिशत से अधिक मामले दक्षिण पश्चिम रूस में दर्ज किये गये हैं। रिपोर्टों के अनुसार, रूस के नॉर्थडकोटा क्षेत्र में मच्छर जनित वेस्ट  नाइल वायरस के मानव मामले बढ़ रहे हैं। अब तक 5 लोगों में मामलों की पुष्टि हो चुकी है।

वेस्ट नाइल वायरस क्या है?

  • यह एक सिंगल-स्ट्रैंडड RNA वायरस है जो वेस्ट नाइल बुखार का कारण बनता है।
  • वायरस फ्लैविविरिडे परिवार का सदस्य है, जिसमें जीका वायरस, डेंगू वायरस, साथ ही पीला बुखार वायरस भी शामिल है।
  • यह वायरस मुख्य रूप से मच्छरों के माध्यम से और ज्यादातर क्यूलेक्स की प्रजातियों द्वारा फैलता है।
  • आनुवंशिक रूप से, वायरस जापानी एन्सेफलाइटिस परिवार से संबंधित है।
  • मनुष्य और घोड़े दोनों ही इस वायरस से रोग के लक्षण प्रदर्शित करते हैं।
  • इस रोग का पहला मानव मामला वर्ष 1937 में युगांडा में दर्ज किया गया था।

वायरस की उत्पत्ति

  • वेस्ट नाइल वायरस की उत्पत्ति अफ्रीका में हुई थी।
  • अब यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में फैल गया है।
  • यह वायरस ज्यादातर मच्छरों के काटने से फैलता है, जिससे मनुष्यों में एक घातक स्नायविक स्थिति पैदा हो जाती है।
  • नाइल वायरस के अधिकांश मामले मच्छरों के मौसम में होते हैं, गर्मियों में शुरू होते हैं और पतझड़ तक रहते हैं।

रोग के लक्षण : नाइल वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों (10 में से 8) में कोई लक्षण नहीं दिखते। कुछ संक्रमित लोगों को सिरदर्द, शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द, दाने, उल्टी या दस्त जैसे लक्षणों के साथ बुखार हो जाता है।

स्रोत – द हिन्दू

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