वेटलैंड्स इंटरनेशनल (WI) रिपोर्ट
वेटलैंड्स इंटरनेशनल (WI) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले तीन दशकों में 5 में से 2 आर्द्रभूमियों का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
वेटलैंड्स इंटरनेशनल एक गैर-सरकारी वैश्विक संगठन है। इसका मुख्यालय नीदरलैंड में है।
वेटलैंड्स इंटरनेशनल द्वारा किए गए इस अध्ययन के कुछ मुख्य निष्कर्षः
- 40% जल निकायों में जलीय जंतुओं के जीवित रहने के लिए आवश्यक गुणवत्ता समाप्त हो गई है।
- आर्द्रभूमियां व्यापक पैमाने पर अवसंरचना विकास,आवासीय योजनाओं के विस्तार, वैकल्पिक उपाय किए बिना अत्यधिक जल निकासी जैसे कारणों से समाप्त हो रही हैं।
- आर्द्रभूमियां स्थलीय और जलीय प्रणालियों के बीच की मध्यवर्ती भूमि (Lands transitional) होती हैं। आमतौर पर इनका जलस्तर सतह तक या उसके करीब होता है, या भूमि उथले जल से ढकी रहती है।
- आर्द्रभूमि पर रामसर अभिसमय को वर्ष 1971 में अपनाया गया था। भारत इस अभिसमय का एक हस्ताक्षरकर्ता देश है।
- यह अभिसमय आर्द्रभूमि और उसके संसाधनों के संरक्षण तथा विवेकपूर्ण उपयोग के लिए रूपरेखा प्रदान करती है।
- भारत में लगभग 2 लाख बड़ी आर्द्रभूमियां हैं, जिनमें से 75 आर्द्रभूमियां रामसर आर्द्रभूमि स्थल में शामिल हैं ।
- भारत में आर्द्रभूमियों की सर्वाधिक संख्या तमिलनाडु (14) में है । इसके बाद उत्तर प्रदेश (10) का स्थान है।
- विदित हो कि रामसर अभिसमय पर हस्ताक्षर करने वाले पक्षकारों के सम्मेलन (COP14) में वुहान घोषणा-पत्र को अपनाया गया।
इसमें निम्नलिखित के लिए आह्वान किया गयाः
- दुनिया भर में आर्द्रभूमियों के संरक्षण, पुनरुद्धार व प्रबंधन के साथ-साथ विवेकपूर्ण और संधारणीय उपयोग को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक कार्रवाई को अपनाया जाना चाहिए ।
- इसके तहत अभिसमय की रणनीतिक योजना को बेहतर ढंग से लागू करने और वर्ष 2030 तक अधिक प्रभावी कार्रवाई करने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
स्रोत – द हिन्दू