‘वुल्फ-रेयेट’ नामक हीलियम तारे की खोज

‘वुल्फ-रेयेट’ नामक हीलियम तारे की खोज

हाल ही में ‘वुल्फ-रेयेट (Wolf-Rayet)’ नाम के एक ‘मैग्नेटार’ बनाने की क्षमता वाले विशाल हीलियम तारे की खोज की गई है।

यह खोज एक नए प्रकार के खगोलीय विशाल पिंड- यानी चुंबकीय हीलियम तारे-की खोज का प्रतीक है और ‘मैग्नेटार्स (magnetars)’ की उत्पत्ति पर प्रकाश डालती है।

मैग्नेटार बेहद मजबूत चुंबकीय क्षेत्र वाले न्यूट्रॉन तारे (neutron stars ) हैं, जिनकी उत्पत्ति पर बहस चल रही है।  एक संभावना मूल तारे के कोर में चुंबकीय क्षेत्र का विस्तार है, जो सुपरनोवा विस्फोट के दौरान न्यूट्रॉन तारे का निर्माण करता है।

शोधकर्ताओं ने ‘वुल्फ-रेयेट’ में एक उच्च चुंबकीय क्षेत्र की पहचान करने के लिए स्पेक्ट्रोपोलरिमेट्री का उपयोग किया है । वुल्फ-रेयेट का द्रव्यमान इतना अधिक होता है कि यह एक सुपरनोवा में एक न्यूट्रॉन स्टार को उत्पन्न कर सकता है।

विशाल तारे जो तारकीय विकास (stellar evolution) के एडवांस्ड चरण में होते हैं, और बहुत तेज़ दर से अपना द्रव्यमान खो रहे होते हैं, वुल्फ-रेयेट तारे के रूप में जाने जाते हैं। आम तौर पर सूर्य के द्रव्यमान से 25 गुना अधिक होने के कारण, उनका जीवनकाल छोटा होता है और इसलिए वे काफी दुर्लभ पिंड हैं।

न्यूट्रॉन तारा:

  • न्यूट्रॉन तारा किसी भारी तारे के महानोवा (सुपरनोवा) घटना के बाद उसके गुरुत्वीय पतन से बना हुआ अवशेष होता है।
  • यह तारे केवल न्यूट्रॉन के बने होते हैं। इनका आकार बहुत छोटा मगर द्रव्यमान बहुत ज्यादा होता है। इनमें नाभिकीय घनत्व होता है, जो पानी के घनत्व का लगभग10की घात13 अथवा14 गुना होता है।

स्रोत – साइंसटेक डेली

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