भारत द्वारा मात्स्यिकी समझौते के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रस्ताव को अस्वीकार

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हाल ही में भारत ने मात्स्यिकी समझौते के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।

भारत ने विश्व व्यापार संगठन द्वारा प्रस्तावित मात्स्यिकी सब्सिडी समझौते पर चर्चा के एक संशोधित मसौदे को अस्वीकार कर दिया है। भारत के अनुसार यह कमजोर और असंतुलित है, तथा विकसित देशों का पक्षधर है।

  • भारत ने यह तर्क दिया कि समझौते ने प्रणाली को न्यायसंगत बनाने के सुझावों पर विचार नहीं किया है।
  • यह नॉर्वे, चीन और जापान जैसे देशों के पक्ष मेंहै, जो अंतर्राष्ट्रीय जल का दोहन कर रहे हैं।
  • मात्स्यिकी पर जारी वार्ता का उद्देश्य मत्स्य पालन सब्सिडी के कुछ रूपों को प्रतिबंधित करना है, जो अति मत्स्यन और क्षमता से अधिक भंडारण में योगदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, सब्सिडी को अनुशासित करना तथा अवैध, गैर-सूचित और अविनियमित (illegal, Unreported and Unregulated: IUU) मत्स्यन सब्सिडी को समाप्त करना है।
  • भारत साझे किंतु विभेदित उत्तरदायित्वों की मांगकर रहा है और वह जलवायु परिवर्तन के दर्शन का विस्तार इन वार्ताओं तक करना चाहता है।
  • भारतीय प्रस्ताव के अनुसार, अपने प्राकृतिक भौगोलिक क्षेत्र से परे दूरस्थ जल में मत्स्यन करने वाले देशों को अपने अनन्य आर्थिक क्षेत्रों (Exclusive Economic Zones: EEZs) से परे अंचलों में 25 वर्षों हेतु सब्सिडी को समाप्त कर देना चाहिए।
  • भारत यह भी चाहता है कि विकासशील देशों को अपने दायित्वों का पालन करने के लिए अधिक समय मिले और इसके द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी भारत में निर्धन मछुआरों को स्थायित्व प्रदान करने के लिए प्रयोग की जाए।
  • भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य-उत्पादक देश है और यह लगभग 16 मिलियन भारतीय मछुआरों को आजीविका प्रदान करता है।
  • भारत जलीय कृषि के माध्यम से मछली का एक प्रमुख उत्पादक भी है और चीन के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर है।

स्रोत – द हिन्दू

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