विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस

विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस

हाल ही में 74वीं विश्व स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें 30 जनवरी को ‘विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) दिवस’ के रूप में मानाने की घोषणा की गई।

संयुक्त अरब अमीरात द्वारा इस दिवस को मान्यता देने का प्रस्ताव लाया गया था। इसे सभा के सभी प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। इससे पहले वर्ष 2020 में अनौपचारिक रूप से विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) दिवस मनाया गया था।

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD):

  • ‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग’ संक्रमित रोगों का एक समूह है। यह प्रायः अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के विकासशील क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों में सबसे सामान्य है। इन रोगों के प्रमुख कारण – वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोज़ोआ और परजीवी होते हैं।
  • इस क्षेत्र के लोगों के पास स्वच्छ पानी और मानव अपशिष्ट के निपटान के सुरक्षित तरीकों की पहुँच का अभाव है, जिस वजह से उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सामान्य है।
  • इस क्षेत्र में तपेदिक, एचआईवी-एड्स और मलेरिया जैसी इस प्रकार की प्रमुख बीमारियों में अनुसंधान और उपचार के लिये कम धन मिलता है। उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग के प्रमुख उदाहरण सर्पदंश का जहर, खुजली, जम्हाई, ट्रेकोमा, लीशमैनियासिस और चगास रोग आदि हैं ।

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTDs) पर लंदन उद्घोषणा:

  • इन बीमारियों को वर्ष 2021-2030 के बीच समाप्त करने के लिए लन्दन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन में विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन तथा प्रमुख वैश्विक दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कई राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिनिधियों ने संकल्प लिया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का नया रोडमैप:

  1. रोगों की प्रक्रिया को मापने से लेकर प्रभाव को मापने तक।
  2. रोग-विशिष्ट योजना और प्रोग्रामिंग से लेकर सभी क्षेत्रों में सहयोगात्मक कार्य तक।
  • उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों की स्थिति का पता लगाना।
  • विदित हो कि वैश्विक स्तर पर एक बिलियन से अधिक लोग ‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों’ से ग्रसित हैं।
  • यह रोग रोके जा सकते है एवं इनका उपचार किया जा सकता है। इसके बावजूद भी ये रोग गरीबी एवं पारिस्थितिक तंत्र के साथ उनके जटिल अंतर्संबंध, विनाशकारी स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक परिणामों के कारण समाप्त नहीं हो रहे हैं।
  • समग्र रूप से कुल 20 प्रकार के उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग हैं, जो दुनिया भर में 1.7 बिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं। इनमें प्रायः अधिकतर लोग गरीब एवं संवेदनशील वर्ग से होते हैं। भारत में 11 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग मौजूद हैं। इनमे कालाजार और लसीका फाइलेरिया जैसे परजीवी रोग शामिल हैं।

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NDTs) के उन्मूलन हेतु भारतीय पहल:

  • उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NDTs) के उन्मूलन की दिशा में भारत ने वर्ष 2018 में ‘लिम्फेटिक फाइलेरिया रोग के तीव्र उन्मूलन की कार्य-योजना’ (APELF) प्रारंभ की थी।
  • वर्ष 2005 में भारत, बांग्लादेश और नेपाल की सरकारों ने कालाजार को नियंत्रित करने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन समर्थित एक क्षेत्रीय गठबंधन का गठन किया था ।
  • भारत पहले भी कई अन्य उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NDTs) को समाप्त कर चुका है, जिसमें गिनी वर्म, ट्रेकोमा और यॉज़ आदि शामिल हैं।

स्रोत – डाउन टू अर्थ

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