विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022 जारी की
यह वार्षिक रिपोर्ट, वैश्विक जोखिम धारणा सर्वेक्षण पर आधारित है। यह पांच श्रेणियों में उत्पन्न होने वाले प्रमुख जोखिमों पर प्रकाश डालती है।
ये 5 श्रेणियाँ हैं: आर्थिक, पर्यावरणीय, भू-राजनीतिक, सामाजिक और तकनीकी।
प्रमुख निष्कर्ष –
- वैक्सीन असमानता और परिणामी असमान आर्थिक सुधार जोखिम ने सामाजिक विषमता एवं भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि की है।
- उदाहरण के लिए 20% वैश्विक जनसंख्या वाले सर्वाधिक निर्धन 52 देशों में केवल 6% ही टीकाकरण हुआ है।
आर्थिक गतिहीनताः
- वर्ष 2024 तक, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (चीन को छोड़कर) में उनकी महामारी-पूर्व अपेक्षित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि से 5% तक की गिरावट की संभावना है। बढ़ते साइबर सुरक्षा खतरों के साथ डिजिटल प्रणाली पर बढ़ती निर्भरता।
- उदाहरण के लिए वर्ष 2020 में रैंसमवेयर से जुड़ी घटनाओं में 435% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
- वर्ष 2050 तक अनुमानित 20 करोड़ जलवायु शरणार्थियों के साथ जलवायु परिवर्तन संबंधी प्रभाव और अधिक गंभीर होंगे।
- अंतरिक्ष एक नए उपयोग का क्षेत्र बन जाएगा, क्योंकि वर्ष 2030 तक पांच अन्य देश अंतरिक्ष स्टेशनों का विकासकरेंगे।
- निवल शून्य अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बढ़ते दबाव के गंभीर अल्पकालिक प्रभाव हो सकते हैं। उदाहरण के लिए कार्बन-गहन उद्योगों में लगे लाखों श्रमिक नौकरी से हटा दिए जाएंगे और सामाजिक एवं भू-राजनीतिक तनाव भी पैदा होगा।
जोखिमों के निहितार्थ
- आय असमानताओं के कारण समाजों के भीतर धुवीकरण और आक्रोश बढ़ रहा है।
- वैश्विक एकीकरण की कीमत पर देशों के मध्य क्षेत्रीय अभिसरण आवश्यक हो गया है।
- विवशतापूर्ण प्रवास से श्रमिकों की कमी के साथ-साथ बाजार मांग में भी गिरावट आ रही है।
शीर्ष 5 वैश्विक जोखिम
- जलवायु कार्रवाई की विफलता
- चरम मौसम की घटनाएं
- जैव-विविधता की हानि
- सामाजिक एकता में गिरावट और आजीविका संकट
भारत के लिए शीर्ष 5 जोखिम
- अंतर्राज्यीय संबंधों में गिरावट
- बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ऋण संकट
- व्यापक स्तर पर युवाओं में निराशा
- प्रौद्योगिकी आधारित अभिशासन की विफलता
- डिजिटल असमानता
स्रोत – द हिन्दू