विश्व आदिवासी दिवस 2022
हाल ही में 9 अगस्त को विश्व के ‘आदिवासी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (World Tribal Day 2022) के रूप में मनाया गया है।
इसका उद्देश्य मूलनिवासी लोगों की भूमिका और उनके अधिकारों, समुदायों और सदियों से एकत्रित और आगे बढाए गए ज्ञान को संरक्षित करने के महत्व को उजागर करने के लिए ‘विश्व आदिवासी दिवस’ मनाया जाता है।
इस वर्ष इसकी थीम: “पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रसारण में मूलनिवासी महिलाओं की भूमिका” थी।
विदित हो कि वर्ष 1994 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें ‘9 अगस्त’ को विश्व के ‘मूलनिवासी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था, क्योंकि, 9 अगस्त को मूलनिवासी/आदिवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह ने अपनी पहली बैठक आयोजित की थी।
भारत में जनजातियों की स्थिति:
जनजातीय जनसंख्या कुल जनसंख्या का 8.6% (या 11 करोड़) है, जोकि दुनिया में किसी भी देश में जनजातीय लोगों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। इनमें से 89.97% ग्रामीण क्षेत्रों में और 10.03% शहरी क्षेत्रों में रहते हैं।
लोकुर समिति (1965) के अनुसार, आदिम लक्षणों का संकेत, विशिष्ट संस्कृति, बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क की शर्म, भौगोलिक अलगाव, पिछड़ापन आदि किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में पहचानी जाने वाली आवश्यक विशेषताएं हैं।
संविधान: भारत का संविधान ‘जनजाति’ शब्द को परिभाषित नहीं करता है, हालांकि, अनुसूचित जनजाति शब्द को संविधान में अनुच्छेद 342 (i) के माध्यम से जोड़ा गया था।
स्रोत –द हिन्दू