वियना घोषणा और कार्य योजना की 30वीं वर्षगांठ
विश्व मानवाधिकार सम्मेलन का आयोजन जून 1993 में किया गया था। इस सम्मेलन में वियना घोषणा और कार्य योजना (VDPA) को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR), 1948 से प्रेरणा लेते हुए VDPA के प्रतिनिधियों ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक व न छीने जाने की प्रकृति और परस्पर निर्भरता की पुष्टि की थी।
वियना घोषणा के अनुसार:
- सभी प्रकार के मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रताओं की सार्वभौमिक प्रकृति पर किसी प्रकार के सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं।
- सभी को अपनी राजनीतिक स्थिति को स्वतंत्र रूप से निर्धारित करने तथा अपने आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाने के मामले में आत्मनिर्णय का अधिकार है।
- मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने में अंतर्राष्ट्रीय कार्यवाही की मुख्य भूमिका है।
- वियना घोषणा पर बनी सर्वसम्मति ने निम्नलिखित मामलों में ऐतिहासिक समझौतों/कदमों के लिए मार्ग प्रशस्त किया था: महिलाओं, बच्चों, देशज लोगों, अल्पसंख्यकों और अन्य समूहों के अधिकारों की सुरक्षा ।
- मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर अपराधों के बावजूद दंड से मुक्ति (Impunity) के खिलाफ संघर्ष अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) की स्थापना इसी का परिणाम है। हालांकि, कुछ नवीन चुनौतियां UDHR और VDPA के पूर्ण क्रियान्वयन को अवरुद्ध कर रही हैं।
चुनौतियां:
- डिजिटलीकरण और जलवायु परिवर्तन,असमानताएं,लैंगिक भेदभाव, हेट स्पीच, दुष्प्रचार और ध्रुवीकरण के मामलों में वृद्धि आदि ।
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद, 2023 में वर्ष भर “मानवाधिकार 75” (Human Rights 75 ) पहल का उत्सव मना रहा है।
- इसका उद्देश्य मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के वादों को पूरा करने के लिए राष्ट्रों और अन्य सभी हितधारकों से स्पष्ट कदम उठाने के लिए आह्वान करना है ।
स्रोत – द हिन्दू