सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के विमुद्रीकरण के निर्णय को सही ठहराया
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों के विमुद्रीकरण की अधिसूचना को सही ठहराया है।
केंद्र सरकार ने विमुद्रीकरण का निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम,1934 की धारा 26 (2) के तहत लिया था ।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां–
- RBI अधिनियम, 1934 की धारा 26 (2) सरकार को बैंक नोटों के किसी भी क्रम (series) को विमुद्रीकृत करने का अधिकार देती है।
- यह अधिकार केवल एक क्रम की मुद्रा तक ही सीमित नहीं है, अर्थात इस धारा के तहत मुद्रा के पूरे क्रम का भी विमुद्रीकरण किया जा सकता है।
- विमुद्रीकरण से छः महीने पहले सरकार और RBI के बीच विमर्श हुआ था।
- विमुद्रीकरण की कार्रवाई और मुद्रा विनिमय के लिए दी गई समयावधि आनुपातिकता के सिद्धांत (Doctrine of proportionality ) से प्रभावित नहीं हुई है।
- वर्ष 1978 में पुराने नोटों को नए नोटों से बदलने के लिए आरंभ में तीन दिन तथा बाद में पांच और दिनों का समय दिया गया था।
- वहीं वर्ष 2016 में जनता को नोट बदलने के लिए 52 दिनों का समय दिया गया था ।
- हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के बहुमत के निर्णय से अलग राय देने वाली न्यायाधीश (जस्टिस नागरत्ना) ने विमुद्रीकरण की प्रक्रिया पर आपत्ति प्रकट की है।
- उनके अनुसार विमुद्रीकरण की प्रक्रिया संसद में पूर्ण विधान लाए बिना केवल आधिकारिक राजपत्र में जारी अधिसूचना पर आधारित थी ।
विमुद्रीकरणः
- यह किसी मुद्रा इकाई के कानूनी दर्जे (लीगल टेंडर) को वापस लेने की प्रक्रिया है। अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार और काले धन को कम करने के लिए वर्ष 2016 में विमुद्रीकरण का सहारा लिया गया था।
- इससे पहले वर्ष 1978 में सरकार ने उच्च मूल्य वर्ग के बैंक नोट ( विमुद्रीकरण ) अधिनियम, 1978 के तहत 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया था।
विमुद्रीकरण के गुण और दोष
गुण:
- कर चोरी में कमी आती है और कर राजस्व में वृद्धि होती है। अधिक कर राजस्व प्राप्त होने और पुनर्निवेश के कारण लंबे समय में GDP के आकार में वृद्धि होती है।
- डिजिटल मुद्रा और डिजिटल लेन-देन के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलता है। पारदर्शिता बढ़ने और काले धन में कमी से अपराध में कमी आती है।
दोष:
मुद्रा बदलने का बोझ नागरिकों पर होता है। मुद्रा बदलने में अधिक लागत आती है। जैसे कि आर्थिक संवृद्धि में गिरावट आती है और मुद्रा बदलने में ज्यादा व्यय करना पड़ता है।
नकदी से चलने वाले क्षेत्रों / व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सूक्ष्म और लघु उद्यम इसके उदाहरण हैं। डिजिटल जालसाजी / साइबर अपराध का खतरा बढ़ता है।
स्रोत – द हिन्दू