लोक सभा में सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन विधेयक 2020 पारित)

लोक सभा में सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन विधेयक 2020 पारित)

हाल ही में लोक सभा में सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी – विनियमन विधेयक 2020 पारित किया गया।

यह विधेयक सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (Assisted Reproductive Technology: ART) क्लीनिकों और ART बैंकों को विनियमित तथा उनका पर्यवेक्षण करने, प्रौद्योगिकी सेवाओं के दुरुपयोग को रोकने, सुरक्षित एवं नैतिक व्यवसाय अपनाने आदि का प्रयास करता है।

इसकी आवश्यकता इसलिए अनुभव की जा रही है, क्योंकि भारत वैश्विक प्रजनन उद्योग के प्रमुख केंद्रों में से एक के रूप में स्थापित हो चुका है। इसमें प्रजनन चिकित्सा पर्यटन एक महत्वपूर्ण गतिविधि बन गयी है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

  • ART की परिभाषा:

ART में वे सभी तकनीकें शामिल हैं, जिनमें गर्भावस्था को प्राप्त करने के प्रयास में शुक्राणु या डिम्बाणुजन कोशिका (oocyte) (अपरिपक्व अंड कोशिका) को मानव शरीर के बाहर प्रबंधित किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी महिला की प्रजनन प्रणाली में युग्मक या भ्रूण को अंतरित किया जाता है।

  • ART क्लीनिक और बैंकों का विनियमनः
  • प्रत्येक ART क्लिनिक और बैंक को भारत में क्लीनिकों एवं बैंकों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य है।
  • युग्मक दान और आपूर्ति तथा ART सेवाएं प्रदान करने की शर्ते भी निर्धारित की गई हैं।
  • ART के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को प्रक्रिया को संपन्न कराने वाले दंपत्ति का जैविक बच्चा माना जाएगा। वह संबंधित दंपत्ति के प्राकृतिक बच्चे को उपलब्ध अधिकारोंऔर विशेषाधिकारों का हकदार होगा।
  • दाता का बच्चे पर कोई जनकीय (parental) अधिकार नहीं होगा।
  • विधेयक के तहत गठित सरोगेसी के लिए राष्ट्रीय और राज्य बोर्ड, ART सेवाओं को विनियमित करेंगे।

स्रोत – द हिंदू

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