सामूहिक विनाश के हथियार अधिनियम, 2005 में संशोधन
हाल ही में संसद ने सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी आपूर्ति प्रणाली (गैर-कानूनी गतिविधियों का निषेध) संशोधन विधेयक, 2022 पारित किया है ।
वर्ष 2022 के विधेयक ने सामूहिक विनाश के हथियार अधिनियम, 2005 में संशोधन किया है।
यह अधिनियम सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियों (जैसे विनिर्माण, परिवहन या हस्तांतरण) को प्रतिबंधित करता है।
WMD’s के उपयोग पर नियंत्रण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संधियां और समझौते
- यह विधेयक व्यक्तियों को WMD और उनकी आपूर्ति प्रणाली से संबंधित किसी भी प्रतिबंधित गतिविधि के वित्तपोषण से रोकता है ।
- व्यक्तियों को ऐसी गतिविधियों के वित्तपोषण से रोकने के लिए, केंद्र सरकार उनके धन, वित्तीय परिसंपत्ति या आर्थिक संसाधनों को फ्रीज, जब्त या अटैच कर सकती है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों और वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की सिफारिशों ने WMDS तथा इनकी आपूर्ति प्रणालियों के प्रसार के वित्तपोषण के खिलाफ कार्रवाई को अनिवार्य कर दिया है। इसलिए इन संस्थाओं के अधिदेश को पूरा करने के लिए यह विधेयक आवश्यक हो गया था।
सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) के बारे में
- अंतर्राष्ट्रीय कानून में WMD की कोई एकल और आधिकारिक परिभाषा नहीं है। आमतौर पर इनमें परमाणु, जैविक और रासायनिक (NBC) हथियारों को शामिल किया जाता है।
- भारत का वर्ष 2005 का WMD अधिनियम, सामूहिक विनाश के हथियार को जैविक, रासायनिक या परमाणु हथियार के रूप में परिभाषित करता है।
WMD’s के उपयोग पर नियंत्रण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संधियां और समझौते –
- जेनेवा प्रोटोकॉल, 1925: इसने रासायनिक और जैविक हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। भारत ने इसकी अभिपुष्टि कर दी है।
- जैविक हथियार अभिसमय, 1972 और रासायनिक हथियार अभिसमय, 1992: ये क्रमशः जैविक और रासायनिक हथियारों पर व्यापक प्रतिबंध लगाते हैं। भारत ने दोनों अभिसमयों पर हस्ताक्षर और उनकी अभिपुष्टि कर दी है।
- परमाणु हथियारों के उपयोग और प्रसार को विनियमित करने के लिए परमाणु अप्रसार संधि (NPT) तथा व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT)। भारत ने NPT और CTBT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
स्रोत : द हिंदू