विद्युत क्षेत्रक के लिए आपदा प्रबंधन योजना (DMP) जारी
हाल ही में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने विद्युत क्षेत्रक के लिए आपदा प्रबंधन योजना (DMP) जारी की है।
- आपदा प्रबंधन योजना विद्युत क्षेत्रक में उपयोगिताओं (यूटिलिटीज) के लिए एक फ्रेमवर्क उपलब्ध करवाती है।
- यह फ्रेमवर्क आपदा शमन, तैयारी, आपातकालीन प्रतिक्रिया और रिकवरी प्रयासों को मजबूत करने के लिए एक अग्र सक्रिय तथा एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने पर केंद्रित होता है।
- विद्युत क्षेत्रक की वृद्धि सीधे तौर पर देश की आर्थिक संवृद्धि से संबंधित है। इस कारण आपदा के परिणामस्वरूप उत्पन्न कोई भी बाधा मानव जाति के लिए गंभीर कठिनाई पैदा करती है।
- आपदा प्रबंधन (DM) अधिनियम, 2005 की धारा 37 के तहत भारत सरकार के प्रत्येक मंत्रालय / विभाग को आपदा प्रबंधन योजना तैयार करना आवश्यक है ।
- DMP आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) से संबंधित सेंडाई फ्रेमवर्क के अनुरूप है । साथ ही यह COP-21 और DRR के लिए प्रधान मंत्री के दस सूत्रीय एजेंडे के भी संगत है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) की प्रमुख विशेषताएं
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1 जून, 2016 को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) जारी की थी। देश में पहली बार इस तरह की राष्ट्रीय योजना तैयार की गई है।
- आपदा की गंभीरता के आधार पर हस्तक्षेप और कार्रवाई करने के लिए केंद्रीय, क्षेत्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर एक चार स्तरीय संरचना का निर्माण किया जाना चाहिए ।
- विद्युत उत्पादन स्टेशनों, पारेषण वितरण जैसी विद्युत अवसंरचनाओं के जोखिमों का आकलन किया जाएगा। इसका उद्देश्य मात्रात्मक जोखिम का पता लगाना है ।
- हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली अनिश्चितता को टाला नहीं जा सकता है, फिर भी विद्युत उपयोगिताएं अलग-अलग जलवायु परिदृश्यों और परिसंपत्तियों पर पड़ने वाले इनके संभावित प्रभावों का आकलन करके जोखिमों का प्रबंधन कर सकती हैं ।
- आपातकालीन स्थितियों और आपदाओं के समय सोशल मीडिया का संगठन के स्तर पर उपयोग किया जाना चाहिए। इसके द्वारा बेहतर तरीके से सूचना का प्रसार व आपात संचार किया जा सकता है और चेतावनी जारी की जा सकती है।
स्रोत – द हिन्दू