विदेश व्यापार नीति 2015-20
हाल ही में सरकार ने “विदेश व्यापार नीति, 2015-20” (Foreign Trade Policy, 2015-20) को 30 सितंबर 2022 तक बढ़ाने का फैसला लिया है ।
- विदित हो कि, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कार्यरत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DoFT), नयी विदेश व्यापार नीति तैयार कर रहा है।
- मौजूदा FTP, 2015-20 की अवधि 31 मार्च 2022 को समाप्त होने वाली थी। इससे पहले कोरोना वायरस के प्रकोप और लॉकडाउन के कारण इस नीति की अवधि बढ़ा दी गयी थी।
- विदेश व्यापार नीति आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और रोजगार पैदा करने के उद्देश्य से निर्यात बढ़ाने हेतु दिशा-निर्देश प्रदान करती है।
- FTP 2015-20 ने निर्यात बढ़ाने, रोजगार पैदा करने और वैल्यू एडिशन बढ़ाने के लिए एक रूपरेखा प्रदान की है।
FTP 2015-20 के तहत दो नई योजनाएँ घोषित की गयी थीं –
- मचेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS): यह विशेष बाजारों में विशेष वस्तुओं के निर्यात के लिए घोषित की गयी थी।
- सर्विस एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (SEIS): इसकी घोषणा अधिसूचित सेवाओं (notified services) के निर्यात को बढ़ाने के लिए की गयी थी।
नई विदेश व्यापार नीति के लिए अलग-अलग केन्द्रित क्षेत्र होंगे। यह नीति- डिजिटल सूचना से युक्त होगी। यह विश्व स्तर पर स्वीकार्य नीतिगत मानदंडों के अनुरूप होगी। साथ ही ऐसे बाजार, जहाँ अब तक ठीक से पैठ नहीं बन पाई है, (जैसे- अफ्रीका), वहाँ संभावनाओं को तलासेगी। इसके अतिरिक्त प्रतिस्पर्धात्मकता और बाजार पहुंच (विशेषकर सेवा क्षेत्र में) पर ध्यान देगी ।
व्यापार नीति के सामने चुनौतियां
- निर्यात को बढ़ावा देने वाली योजनाओं को विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों के अनुरूप युक्तिसंगत बनाने के लिए बहुपक्षीय दबाव बढ़ रहा है।
- विदेश व्यापार से संबंधित तीन नियामक संस्थाओं DGFT, कस्टम और GST काउंसिल के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करना भी बड़ी चुनौती है।
- इंडियन ट्रेड क्लासिफिकेशन नॉमेनक्लेचर में भी विसंगति (discrepancy) है। भारत में यह आठ अंकों वाला है, जबकि अधिकांश देश पहले से ही 10-अंकीय टैरिफ नॉमेनक्लेचर का पालन करते हैं।
स्रोत– द हिंदू