वित्त आयोग की संरचना एवं उसके द्वारा निष्पादित कार्यों का सविस्तार

Question – भारतीय संविधान में उल्लिखित, वित्त आयोग की संरचना एवं उसके द्वारा निष्पादित कार्यों का सविस्तार वर्णन कीजिए। – 14 January 2021

Answer

भारतीय वित्त आयोग का गठन राष्‍ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के आर्टिकल 280 के तहत 1951 में किया गया | इस आयोग का निर्माण केंद्र और राज्‍य के बीच वित्तीय संबंधों को परिभाषित करने हेतु किया गया था |  वित्त आयोग प्रत्येक पांच सालों में नियुक्त किया जाता है | अभी तक कुल 15 वित्त आयोगों को नियुक्त किया जा चुका हैं। वित्त आयोग का अधिकतम कार्यकाल 5 वर्ष का होता है |

वित्त आयोग की आवश्यकता:

  • भारत की संघीय प्रणाली केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति तथा कार्यों के विभाजन की अनुमति देती है, इसी आधार पर कराधान की शक्तियों को भी केंद्र एवं राज्यों के बीच विभाजित किया जाता है।
  • राज्य विधायिकाओं को अधिकार है कि वे स्थानीय निकायों को अपनी कराधान शक्तियों में से कुछ अधिकार दे सकती हैं।
  • केंद्र कर राजस्व का अधिकांश हिस्सा एकत्र करता है और कुछ निश्चित करों के संग्रह के माध्यम से बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था में योगदान देता है।
  • स्थानीय मुद्दों और ज़रूरतों को निकटता से जानने के कारण राज्यों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे अपने क्षेत्रों में लोकहित का ध्यान रखें।
  • हालाँकि इन सभी कारणों के चलते कभी-कभी राज्य का खर्च उनको प्राप्त होने वाले राजस्व से कहीं अधिक हो जाता है।
  • इसके अलावा, विशाल क्षेत्रीय असमानताओं के कारण कुछ राज्य दूसरों की तुलना में पर्याप्त संसाधनों का लाभ उठाने में असमर्थ हैं। इन असंतुलनों को दूर करने के लिये वित्त आयोग राज्यों के साथ साझा किये जाने वाले केंद्रीय निधियों की सीमा निर्धारित करने की सिफारिश करता है।

वित्त आयोग के कार्य

  • भारत के राष्ट्रपति को यह सिफारिश करना कि संघ एवं राज्यों के बीच करों की शुद्ध प्राप्तियों को कैसे वितरित किया जाए, एवं राज्यों के बीच ऐसे आगमों का आवंटन कैसे किया जाए।
  • निर्णय लेना कि, अनुच्छेद 275 के तहत संचित निधि में से राज्यों को अनुदान/सहायता दिया जाना चाहिये या नहीं।
  • राज्य वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संसाधनों की आपूर्ति हेतु राज्य की संचित निधि में संवर्द्धन के लिये आवश्यक क़दमों की सिफारिश करना।
  • राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त अन्य कोई विशिष्ट निर्देश, जो देश के सुदृढ़ वित्त के हित में हो।

15वें वित्त आयोग की संरचना

  • अनुच्छेद 280(1) के तहत उपबंध है कि, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त्त किये जाने वाले एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर वित्त आयोग बनेगा।
  • 27 नवम्बर, 2017 को एन.के सिंह को 15वें वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। एन.के सिंह भारत सरकार के पूर्व सचिव एवं 2008-2014 तक बिहार से राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
  • इनके अलावा अन्य 4 सदस्यों में शक्तिकांत दास (भारत सरकार के पूर्व सचिव) और डॉ. अनूप सिंह (सहायक प्रोफेसर, जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका) पूर्णकालिक सदस्य तथा डॉ. अशोक लाहिड़ी (अध्यक्ष, बंधन बैंक) और डॉ. रमेश चंद्र (सदस्य, नीति आयोग) इसके अंशकालिक सदस्य मनोनीत किये गए हैं।

15वें वित्त आयोग ने 2011 की जनगणना को ध्यान में रखते हुए राज्यों के बीच संसाधनों के आवंटन की सिफारिश की है। देखा जाए तो नवीनतम जनगणना के आंकड़ों का उपयोग करना उचित प्रतीत होता है, लेकिन इससे उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच विवाद का सबसे गंभीर मुद्दा सामने आ रहा है। जनगणना के आधार में बदलाव के कारण सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे दक्षिणी राज्यों को नुकसान होने की अधिक संभावना है, जो दशकों से अपनी आबादी को नियंत्रित करने में बेहतर कर रहे हैं। उनकी कम जनसंख्या वृद्धि स्वाभाविक रूप से ‘कम प्रजनन दर’ से जुड़ी हुई है, जो बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और विकास का परिणाम है। ऐसे में विकास संबंधी कार्यों में सफलता मिलने से उन्हें धन आवंटन में नुकसान उठाना पड़ सकता है, जिसे दंड के रूप में माना जा रहा है।

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