वित्तीय समावेशन परिदृश्य
स्टेट बैंक (SBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय समावेशन परिदृश्य में भारत अब चीन से आगे हो गया हैं।
वित्तीय समावेशन का अर्थ व्यक्तियों और व्यवसायों की उपयोगी एवं किफायती वित्तीय उत्पादों व सेवाओं तक पहुंच होना है, जो उनकी आवश्यकताओं को पूर्ण करते हैं।
SBI की हालिया रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- भारत में प्रति एक लाख वयस्कों पर बैंक शाखाओं की संख्या वर्ष 2015 के6 से बढ़कर वर्ष 2020 में 14.7 हो गई थी। यह जर्मनी, चीन और दक्षिण अफ्रीका से अधिक है।
- प्रति हजार वयस्कों पर मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन वर्ष 2019 में बढ़कर 13,615 हो गया था, जो वर्ष 2015 में 183 था।
- जिन राज्यों में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMUDY) खातों में अधिक शेष राशि है, उन राज्यों में अपराधों में स्पष्ट गिरावट दर्ज की गई है।
- ऐसे राज्यों में अल्कोहल और तंबाकू उत्पादों जैसे मादक पदार्थों के उपभोग में सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण और आर्थिक रूप से सार्थक गिरावट आयी है।
- बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट (BC) मॉडल ने भौतिक शाखाएं स्थापित करने की आवश्यकता को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया है।
- ज्ञातव्य है कि वर्तमान में गांवों में बैंकिंग आउटलेट की संख्या मार्च 2010 के 34,174 से बढ़कर दिसंबर 2020 में4 लाख हो गई थी।
- PMJDY वित्तीय समावेशन के लिए शुरू किया गया एक राष्ट्रीय मिशन है। यह वित्तीय सेवाओं अर्थात् एक बुनियादी बचत और जमा खाते, प्रेषण, क्रेडिट, बीमा तथा पेंशन तक किफायती तरीके से पहुंच सुनिश्चित करने पर लक्षित है।
- इस योजना के तहत, ऐसे व्यक्तियों द्वारा किसी भी बैंक शाखा या बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट (BC) आउटलेट में एक मूल बचत बैंक जमा खाता खोला जा सकता है, जिनका कोई बैंक खाता नहीं है।
स्रोत- द हिंदू