RBI ने भारत की वित्तीय प्रणाली के हरितकरण हेतु NGFS का समर्थन किया

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हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत की वित्तीय प्रणाली के हरितकरण हेतु NGFS का समर्थन करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता संबंधी वक्तव्य प्रकाशित किया है।

नेटवर्क फॉर ग्रीनिंग द फाइनेंसियल सिस्टम (NGFS), ग्लासगो घोषणा का समर्थन करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने निम्नलिखित के माध्यम से भारत की वित्तीय प्रणालीके हरितकरण के समर्थन के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है:

  • RBI द्वारा पर्यवेक्षित संस्थाओं के तुलन पत्र, व्यवसाय प्रतिमानों और जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों में अंतराल जैसी सुभेद्यताओं की पहचान के लिए जलवायु परिदृश्य अभ्यासों के उपयोग का अन्वेषण करना।
  • वित्तीय स्थिरता निगरानी में जलवायु संबंधी जोखिमों को एकीकृत करना और विनियमित वित्तीय संस्थानों के बीच जलवायु संबंधी जोखिमों के बारे में जागरूकता सृजित करना।
  • इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन के मुद्दों तथा उनसे निपटने के तरीकों पर ज्ञान का प्रसार करना।

NGFS भारत की वित्तीय प्रणाली के हरितकरण के बारे में:

  • यह वर्ष 2017 में पेरिस में आयोजित “वन प्लैनेटसमिट” में लॉन्च किए गए केंद्रीय बैंकों और पर्यवेक्षकों का एक समूह है। ये वे विशेष बैंक हैं, जो स्वैच्छिक आधार पर वित्तीय क्षेत्र में पर्यावरण और जलवायु जोखिम प्रबंधन के विकास में योगदान करने के आकांक्षी हैं।
  • यह 91 केंद्रीय बैंकों व निरीक्षकों और 14 पर्यवेक्षकों को एक साथ लाता है। ये सभी पांच महाद्वीपों और लगभग 85% वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन हेतु उत्तरदायी देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • RBI अप्रैल 2021 में इसमें शामिल हुआ था। जिसके परिणामस्वरूप RBI को हरित वित्त पर वैश्विक प्रयासों से सीखने और उनमें योगदान करने में सहायता मिली है।

हरित वित्त के बारें में

  • यह संरचित वित्तीय गतिविधि को दर्शाता है। इसमें वे उत्पाद या सेवा शामिल होते हैं, जिन्हें बेहतर पर्यावरणीय परिणाम सुनिश्चित करने के लिए निर्मित किया गया है।
  • इसमें सार्वजनिक नीतियों का वित्तपोषण, सार्वजनिक और निजी हरित निवेश आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, सतत विकास प्राथमिकताओं में निवेश के प्रवाह को बढ़ाना या जलवायु परिवर्तन के पहलुओं के प्रति अनुकूलन आदि सम्मिलित है।

स्रोत – द हिन्दू

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