सतत आजीविका के लिए विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (DRE) प्रौद्योगिकियां

सतत आजीविका के लिए विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (DRE) प्रौद्योगिकियां

हाल ही में ‘सतत आजीविका के लिए विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (DRE) प्रौद्योगिकियां’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की गई।

इस रिपोर्ट को ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) तथा विलग्रो इनोवेशन फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया है।

रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य

  • वर्तमान में, भारत में DRE द्वारा संचालित 12 प्रमुख प्रौद्योगिकियां प्रयोग में लाई जा रही हैं। उदाहरण के लिए, उच्च क्षमता वाले सिंचाई पंपों के साथ-साथ माइक्रो पंप, सिल्क रीलिंग मशीन, ड्रायर, चरखा आदि ।
  • ये DRE प्रौद्योगिकियां भारत के कृषि और वस्त्र क्षेत्रक में 37 मिलियन लोगों की आजीविका में सकारात्मक सुधार ला सकती हैं।
  • DRE प्रौद्योगिकियों द्वारा आजीविकाओं को सर्वाधिक प्रभावित करने का अवसर उत्तर प्रदेश में है। इसके बाद पश्चिम बंगाल का स्थान है।
  • DRE एक ऐसी प्रणाली है, जो बिजली का स्थानीय तरीके से उत्पादन, संग्रहण और वितरण करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करती है।
  • भारत में DRE प्रौद्योगिकियों की बाजार क्षमता का मूल्य लगभग 4 लाख करोड़ रुपये है।

DRE को बढ़ावा देने की जरूरत क्यों है?

  • विकेन्द्रीकृत नवीनीकरण ऊर्जा-विकल्पों द्वारा संचालित ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियां जलवायु संबंधी कार्रवाई को बढ़ावा दे सकती हैं। इसके साथ ही ये भारत के 60 मिलियन से अधिक सूक्ष्म उद्यमों की आय और उनके लचीलेपन में वृद्धि कर सकती हैं।
  • DRE विशेष रूप से ग्रामीण परिवेश में डीजल पर आजीविका की निर्भरता को कम कर सकती है। साथ ही, यह ग्रिड आपूर्ति के पूरक के रूप में कार्य कर सकती है। आजीविका संबंधी गतिविधियों में DRE के उपयोग से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी ।

चुनौतियां:

  • प्रौद्योगिकी आधारित दोषों को दूर करने के लिए निर्माताओं के साथ सीधे संपर्क का अभाव है,
  • इसमें पूंजी की अधिक आवश्यकता होती है, अतः अंतिम उपयोगकर्ताओं और उद्यमों के लिए इसका वित्त पोषण करना कठिन हो सकता है आदि ।

स्रोत – डाउन टू अर्थ

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