वाराणसी में अखिल भारतीय महापौर सम्मेलन आयोजित
हाल ही में प्रधानमंत्री ने वाराणसी में अखिल भारतीय महापौर सम्मेलन का उद्घाटन किया है ।
इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के 120 महापौर भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन का विषय ‘नया शहरी भारत’ (New Urban India) है।
शहरी स्थानीय निकायों (ULB) के महापौर/अध्यक्ष, नगर निकाय के राजनीतिक और कार्यकारी प्रमुख होते हैं।
वर्तमान में, महापौरों का चुनाव नगर पार्षदों द्वारा किया जाता है, जो प्रत्यक्ष रूप से शहरी मतदाताओं द्वारा चुने जाते हैं।
महापौर के कार्यालय से संबंधित मुद्दे
- लघु कार्यकालः भारतीय शहरी-प्रणाली के वार्षिक सर्वेक्षण (ASICS)-2017 में यह पाया गया कि केवल 20 प्रतिशत शहरों में ही महापौरों के लिए पांच वर्ष का कार्यकाल उपलब्ध है।
- 74वें संविधान संशोधन में महापौरों के निर्वाचन की विधि या कार्यकाल को निर्धारित नहीं किया गया है।
कार्यकारी अधिकार का अभावः
- ज्ञातव्य है कि प्रमुख कार्यकारी शक्ति, सरकार द्वारा नियुक्त नगरपालिका आयुक्त के पास होती है, इसलिए महापौर केवल नाममात्र का पद ग्रहण करते हैं।
- महापौरों के लिए उपलब्ध सीमित कार्यकारी शक्तियों को शहरी अभिशासन में अक्षमता और कुप्रबंधन के प्रमुख कारणों में से एक के रूप में देखा जाता है।
किए जाने वाले उपाय
- शहरी निवासियों का प्रत्यक्ष जनादेश, महापौर के पद की वैधता और जवाबदेही में वृद्धि कर सकता है।
- राज्य द्वारा नियुक्त नौकरशाहों के विपरीत महापौरों के लिए निश्चित कार्यकाल अधिक निरंतरता प्रदान करते हैं, क्योंकि नौकरशाहों को अकस्मात स्थानांतरित किया जा सकता है।
स्रोत – पी आई बी