राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाकों के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक वेब और जीआईएसके साथ-साथ मल्टी- मॉडल आधारित संचालन एवं नियोजन निर्णय सहायता टूल से युक्त एक ‘निर्णय सहायता प्रणाली’स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
यह टूल विभिन्न स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन के स्थिर और इधर-उधर फैलने वाले धूल कण, इत्यादि का पता लगाने में काफी मददगार साबित होगा।
‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ के बारे में:
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोगका गठन अक्टूबर, 2020 में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु आयोग अध्यादेश’, 2020 के तहत किया गया था।
संरचना:
- आयोग की अध्यक्षता भारत सरकार के सचिव अथवा राज्य सरकार के मुख्य सचिव के रैंक के अधिकारी द्वारा की जाएगी।
- यह एक स्थायी निकाय होगा और इसमें 20 से अधिक सदस्य होंगे।यह आयोग एक ‘वैधानिक प्राधिकरण’ होगा।
- यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे निकायों का अधिक्रमण करेगा।
- इस आयोग को वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर इन राज्य सरकारों को निर्देश जारी करने की शक्तियां प्राप्त होंगी।
आयोग के कार्य:
- आयोग के पास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता के संरक्षण और इसमें सुधार के लिए सभी उपाय करने, निर्देश देने और शिकायतों पर कार्रवाई करने का अधिकार होगा।
- आयोग पर्यावरण में विभिन्न स्रोतों से प्रदूषक तत्वों के उत्सर्जन के मानक भी तैयार करेगा।
- प्रदूषण संकट पर अंकुश लगाने के लिए इसके द्वारा निर्धारित निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने के लिए आयोग को कार्यकारी अधिकार दिए गए हैं।
दंड के प्रावधान:
- किसी प्रदूषणकारी स्थल पर कार्यवाही के दौरान बाधा उत्पन्न करने पर आयोग को आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 94 के तहत स्थल को बंद करने या जांच करने के संदर्भ में वारंट जारी करने की शक्ति भी दी गयी है।
- आयोग के आदेशों का पालन न करने पर जुर्माने के साथ 5 साल तक की कैद की सजा हो सकती है और जुर्माने की रकम को 1 करोड़ या उससे अधिक भी किया जा सकता है।
- अध्यादेश के तहत अपराध गैर-संज्ञेय होगा और यह राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम के तहत सुनवाई योग्य होगा।
अधिकार-क्षेत्र:
इस आयोग का वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के क्षेत्रों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) पर विशेष अधिकार क्षेत्र होगा, तथा यह संबंधित राज्य सरकारों तथा CPCB और ISRO के साथ कार्य करेगा।
आयोग की दंडात्मक शक्तियाँ:
आयोग के निर्देशों का उल्लंघन किये जाने पर, जैसे कि किसी प्रतिबंधित क्षेत्र में एक औद्योगिक इकाई की स्थापना करने पर, 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और 5 साल तक के कारावास की सजा होगी।
स्रोत – पीआईबी