वामपंथी उग्रवाद (LWE) पर संसदीय सलाहकार समिति की बैठक
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में वामपंथी उग्रवाद (LWE) पर संसदीय सलाहकार समिति की बैठक हुई है।
गृह मंत्री ने रेखांकित किया कि, वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए सरकार की रणनीति तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है।
ये स्तंभ निम्नलिखित हैं-
- सख्त दृष्टिकोण के माध्यम से उग्रवादी हिंसा पर अंकुश लगाने की रणनीति को अपनाया गया है।
- केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने पर बल दिया जा रहा है।
- विकास में जनता की भागीदारी के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद के जन समर्थन को समाप्त किया जा रहा है
- इस रणनीति ने पिछले आठ वर्षों में वामपंथी उग्रवाद को नियंत्रित करने में सफलता दिलाई है।
इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- वर्ष 2022 में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में मारे गए नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की संख्या घटकर 98 रह गई थी ।
- वर्ष 2010 की तुलना में 2022 में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसक घटनाओं में 76% की कमी दर्ज की गई है।
- वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या 2018 में घटकर 30 रह गई थी। वर्ष 2021 में यह आंकड़ा और कम होकर 25 हो गया था ।
वामपंथी उग्रवाद को दुनिया भर में माओवाद और भारत में नक्सलवाद के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1967 में नक्सलबाड़ी (पश्चिम बंगाल) में स्थानीय जमींदारों के विरुद्ध हुए एक कृषक विद्रोह से भारत में नक्सलवाद का जन्म हुआ था । माओवादी विचारधारा राज्य की सत्ता पर कब्जा करने के साधन के रूप में हिंसा और सशस्त्र विद्रोह के उपयोग में विश्वास करती है।
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए शुरू की गई पहलें
- SAMADHAN (समाधान) रणनीति के तहत वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए लघु और दीर्घ अवधि की नीतियां बनाई जाती हैं।
- जनजातीय समुदाय के बच्चों को साक्षर बनाने के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्थापित किए गए हैं।
- राज्य पुलिस के लिए सुरक्षा संबंधी व्यय योजना और विशेष बुनियादी ढांचागत योजना शुरू की गई हैं।
स्रोत – पी.आई.बी.