वाणिज्य मंत्रालय द्वारा SEZ को गैर-निर्यात इकाइयों तक विस्तारित करने पर विचार
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा SEZ को गैर-निर्यात इकाइयों तक विस्तारित करने पर विचार
वाणिज्य मंत्रालय मौजूदा विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone -SEZ) इकाइयों को घरेलू बाजार में कम सीमा शुल्क पर अपने उत्पादों का हिस्सा बेचने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
SEZ एक विशेष रूप से निरूपित शुल्क-मुक्त अंतःक्षेत्र है, तथा इसे व्यापार परिचालन और शुल्क व प्रशुल्क उद्देश्यों के लिए विदेशी क्षेत्र माना जाएगा।
उद्देश्य
- SEZ का मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त आर्थिक गतिविधि, निर्यात को बढ़ावा देना, घरेलू और विदेशी स्रोतों से निवेश को प्रोत्साहित करना, रोजगार के अवसर पैदा करना, बुनियादी ढांचे का विकास करना आदि हैं।
- सभी भारतीय कानून SEZ में लागू होते हैं, जब तक कि SEZ अधिनियम/नियमों के अनुसार इन्हें विशेष रूप से छूट नहीं दी जाती है।
SEZ को गैर-निर्यात इकाइयों तक विस्तारित करने का महत्व
- सुविधाओं के उपयोग में सुधार होगा, क्योंकि SEZ निम्न क्षमता पर संचालित हैं।
- एकीकृत स्थावर संपदा, विद्युत् और परिवहन सुविधाओं एवं सुचारू प्रशासनिक प्रक्रियाओं के साथ बेहतर बुनियादी ढांचा सुविधाएं प्राप्त होंगी।
- SEZ डेवलपर्स को कोविड-19 प्रेरित मंदी में व्यापार को बढ़ावा देने में सहायता प्राप्त होगी।
- इससे पूर्व, SEZ पर ‘बाबा कल्याणी समिति’ (2018) ने SEZ का नाम बदलकर ‘ई- रोजगार और आर्थिक एन्क्लेव (3Es Employment and Economic Enclave) करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, ताकि इसका उद्देश्य निर्यात के केंद्र से आगे बढ़कर आर्थिक और रोजगार वृद्धि के उत्प्रेरक के रूप में हो सके ।
स्रोत – द हिन्दू
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