वर्ष 2023 में विप्रेषण (Remittances) प्रवाह में वृद्धि की दर कम होने की संभावना
हाल ही में विश्व बैंक ने अपनी नवीनतम ‘माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ रिपोर्ट’ में दुनिया भर में विप्रेषण प्रवाह में आने वाली मंदी (Slowdown) को रेखांकित किया है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- वर्ष 2022 में भारत में विप्रेषण प्रवाह 24% से अधिक बढ़कर 111 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंच गया था। वर्ष 2023 में इसमें केवल 0.2% की वृद्धि का अनुमान है।
- भारत में लगभग 36% विप्रेषण प्रवाह संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर से प्राप्त होता है ।
- वर्ष 2023 में निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में विप्रेषण प्रवाह में केवल 1.4% की वृद्धि होने का अनुमान है। वर्ष 2022 में 8% की वृद्धि हुई थी।
- दक्षिण एशिया में विप्रेषण वृद्धि दर सबसे कम (0.3%) रह सकती है। इसका कारण संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में अत्यधिक कुशल IT कर्मियों की मांग में कमी के साथ-साथ वर्ष 2022 में उच्च आधार है ।
- विप्रेषण का अर्थ प्रवासी श्रमिकों द्वारा अपने मूल देश में धन का हस्तांतरण है। आमतौर पर प्रवासी श्रमिक अपने गृह देशों (Home Countries) में रहने वाले अपने परिवार को धन भेजते हैं।
विप्रेषण का प्रभाव:
- यह किसी देश के लिए विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का महत्वपूर्ण स्रोत है। साथ ही, यह स्थानीय मुद्रा के मूल्य को मजबूत करने में मदद भी करता है ।
- विप्रेषण भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 3% का योगदान करता है ।
- यह वस्तुओं और सेवाओं के लिए उपभोक्ताओं की मांग वृद्धि करता है।
स्रोत – बिजनेस स्टैण्डर्ड