वर्ष 2021 में भारत में यातायात दुर्घटनाओं में 1.73 लाख लोग मारे गए
हाल ही में जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार यातायात दुर्घटनाओं की संख्या वर्ष 2020 की 3.68 लाख से बढ़कर वर्ष 2021 में 4.22 लाख हो गई है।
यातायात दुर्घटनाओं की वजह से दर्ज की गई मौतों की संख्या भी वर्ष 2021 में बढ़कर 1.73 लाख हो गई थी। वर्ष 2020 में यह संख्या 1.46 लाख थी। अकेले 3 राज्यों (उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र) में कुल मौतों का 33.3% दर्ज किया गया है।
सड़क हादसों में मृत्यु दर में वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारण निम्नलिखित हैं:
- दोषपूर्ण सड़क-डिजाइन और वाहनों की खराब स्थिति।
- अधिक तेज गति से वाहन चलाना तथा शराब एवं नशीली दवाओं के सेवन के बाद वाहन चलाना।
- परिवहन की लागत बचाने के लिए ओवरलोडिंग।
- सड़क सुरक्षा सुविधाओं आदि के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी।
- यातायात प्रबंधन के लिए मानव संसाधन की कमी।
- गोल्डन ऑवर के भीतर मदद करने के लिए सीमित आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा मृत्यु दर को और बढ़ा देती है।
- मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, गोल्डन ऑवर ‘एक दर्दनाक हादसे के बाद के एक घंटे की अवधि है। इस अवधि के दौरान तत्काल चिकित्सा देखभाल के माध्यम से मृत्यु को रोकने की सबसे अधिक संभावना होती है।
सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए किये गए उपाय –
- सड़क दुर्घटनाओं की समस्या से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के माध्यम से सड़क सुरक्षा के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण समाधान’ (iRASTE) योजना लागू की गई है।
- लेन-रोडनेट (LRNet): यह भारतीय सड़कों से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए एक नया फ्रेमवर्क है।
- इसमें डीप लर्निंग का उपयोग किया जाता है। इसे लेन और सड़क मानकों पर विचार करते हुए एक एकीकृत तंत्र के साथ डिज़ाइन किया गया है।
- भारत सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ब्रासीलिया घोषणा का हस्ताक्षरकर्ता है।
- सड़क सुरक्षा परिदृश्य में सुधार और जानमाल के नुकसान को कम करने के लिए मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 पारित किया गया है।
स्रोत –द हिन्दू