वर्ल्ड लॉयन दिवस, 2022
हाल ही में शेरों और उनके संरक्षण के संदर्भ में लोगों को जागरूक और शिक्षित करने हेतु प्रतिवर्ष 10 अगस्त को ‘वर्ल्ड लॉयन डे’ मनाया जाता है।
शेरों के संरक्षण की पहल वर्ष 2013 में शुरू हुई थी और इसी वर्ष पहला ‘विश्व शेर दिवस’ भी आयोजित किया गया था।
पारिस्थितिक चक्र में शेरों के स्थान या महत्त्व को समझने का अवसर एवं साथ ही उनका विलुप्त होना मनुष्यों के लिये खतरनाक संकेत हो सकता है।
शेर लगभग तीन मिलियन वर्ष पहले एशिया, अफ्रीका, यूरोप और मध्य पूर्व में पाए जाते थे, हालाँकि पाँच दशकों के दौरान उनकी संख्या में लगभग 95% की कमी आई है।
शेर का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा लियो होता है ,शेर को दो उप-प्रजातियों में वर्गीकृत किया गया है- अफ्रीकी शेर (पैंथेरा लियो लियो) और एशियाई शेर (पैंथेरा लियो पर्सिका)।
एशियाई शेर अफ्रीकी शेरों की अपेक्षाकृत छोटे होते हैं। एशियाई शेरों में पाए जाने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण रूपात्मक विशेषता यह है कि उनके पेट की त्वचा पर विशिष्ट लंबवत फोल्ड होते हैं। यह विशेषता अफ्रीकी शेरों में काफी दुर्लभ होती है।
संरक्षण स्थिति: अफ्रीकी शेरों को IUCN की रेड लिस्ट में ‘संवेदनशील’ सूची में रखा गया है, एवं एशियाई शेर को संकटग्रस्त
CITES: भारतीय आबादी के लिये परिशिष्ट- I एवं अन्य सभी आबादी परिशिष्ट- II
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972: पहली अनुसूची में शेर को रखा गया है ।
भारत में स्थिति: भारत एशियाई शेरों का घर है, जो सासन-गिर राष्ट्रीय उद्यान (गुजरात) के संरक्षित क्षेत्र में निवास करते हैं। वर्ष 2020 के आँकड़ों के मुताबिक भारत में शेरों की संख्या 674 है, जिनकी संख्या वर्ष 2015 में 523 थी।
स्रोत –द हिन्दू