वन (संरक्षण) नियम, 2022 अधिसूचित
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन (संरक्षण) नियम, 2022 अधिसूचित किए हैं।
ये नियम वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं। ये वन (संरक्षण) नियम, 2003 का स्थान लेंगे।
नए नियमों के मुख्य प्रावधानः
- प्रत्येक एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालयों में एक सलाहकार समिति और एक क्षेत्रीय सशक्त समिति का गठन किया जाएगा।
- राज्य/संघ राज्यक्षेत्र सरकार के स्तर पर एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया जायेगा। अलग-अलग प्रकार की परियोजनाओं की समीक्षा की समय-सीमा निर्धारित की गयी है।
एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय में निम्नलिखित प्रकार की परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जाएगा, भले ही सर्वेक्षण के उद्देश्य के लिए उनकी सीमा कुछ भी हो –
- समान श्रेणी की परियोजनाएं (सड़कें, राजमार्ग, आदि);
- 40 हेक्टेयर तक की वन भूमि वाली परियोजनाएं;
- और ऐसी परियोजनाएं जो 0.7 तक वितान (canopy) घनत्व वाली वन भूमि का उपयोग कर सकती हैं।
राज्यों को वनवासियों के वन अधिकारों से जुड़े मुद्दों का समाधान करने (वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत) का उत्तरदायित्व दिया गया है। साथ ही,राज्य को वन भूमि के उपयोग में परिवर्तन करने की अनुमति भी दी गई है।
निम्नलिखित स्थितियों में प्रतिपूरक वनीकरण (compensatory afforestation) दूसरे राज्य या संघ राज्यक्षेत्र (जिसका वनावरण उसके कुल भौगोलिक क्षेत्र के 20 प्रतिशत से कम है) में किया जा सकता है:
- यदि वन भूमि (जिसका अन्य परियोजना के लिए उपयोग किया जाना है), ऐसे पहाड़ी या पर्वतीय राज्य/ संघ राज्यक्षेत्र में है, जिसके भौगोलिक क्षेत्र में दो तिहाई से अधिक वन क्षेत्र है, या
- वह ऐसे किसी दूसरे राज्य/संघ राज्यक्षेत्र में स्थित है, जिसके भौगोलिक क्षेत्र में तक तिहाई से अधिक वन क्षेत्र है।
इससे पहले जनवरी में, पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरणों (State Environment Impact Assessment Authority -SEIAA) की रैंकिंग प्रदान करने का एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। इसके तहत परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी की गति और परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी की गति के आधार पर प्राधिकरणों को रैंकिंग दी जानी थी।
स्रोत –द हिन्दू