वन संरक्षण नियम (FCR), 2022 नहीं होंगे निलंबित

वन संरक्षण नियम (FCR), 2022 नहीं होंगे निलंबित

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने वन संरक्षण नियम (FCR), 2022 को निलंबित करने के राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है।

MoEFCC ने इसके पीछे तर्क दिया है कि ये नियम वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 को कमजोर नहीं करते हैं, जैसा कि जनजातीय कार्य समूह ने कहा है।

अक्टूबर 2022 में, NCST ने एक कार्य समूह का गठन किया था । इस कार्य समूह का कार्य इस बात की जांच करना था कि क्या FCR नियमों ने FRA के किसी प्रावधान का उल्लंघन किया है अथवा क्या ये नियम आदिवासियों के अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं ।

वन संरक्षण नियम, 2022

  • ये नियम वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में प्रदान की गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए वन (संरक्षण) नियम, 2003 के स्थान पर जारी किए गए हैं
  • ये नियम गैर-वानिकी उपयोगों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वन भूमि हेतु अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को निर्धारित करते हैं।
  • इसमें सलाहकार समिति, प्रत्येक एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय में एक क्षेत्रीय अधिकार प्राप्त समिति और राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकार स्तर पर एक स्क्रीनिंग समिति के गठन का प्रावधान किया गया है।
  • राज्यों को वनवासियों के वन अधिकारों को व्यवस्थित करने तथा वन भूमि के किसी अन्य उद्देश्य से इस्तेमाल की अनुमति देने की जिम्मेदारी दी गई है।

NCST द्वारा व्यक्त चिंताएं

  • वन संरक्षण नियम, 2022 FRA, 2006 के अनुरूप नहीं हैं। FRA, 2006 के तहत सरकार को वनवासियों की पारंपरिक भूमि पर किसी परियोजना की अनुमति देने से पहले वनवासियों की सहमति लेने की आवश्यकता होती है।
  • वर्तमान नियमों में किसी परियोजना के लिए वन भूमि के आवंटन से पहले ग्राम सभा की सहमति प्राप्त करने से संबंधित प्रावधान नहीं किए गए हैं। इससे परियोजना में स्थानीय लोगों की राय जानने की व्यवस्था कमजोर हुई है।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के बारे में

  • यह एक संवैधानिक निकाय है । इसका गठन संविधान के अनुच्छेद 338A के तहत किया गया है।
  • इसका उद्देश्य देश में अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक, सामाजिक-आर्थिक, कानूनी और नागरिक अधिकारों की रक्षा करना तथा उन्हें बढ़ावा देना है ।
  • इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होते हैं। इन्हें राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करता है ।

स्रोत – द हिन्दू

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