वन अधिकार अधिनियम को किया जायेगा और अधिक सशक्त

वन अधिकार अधिनियम को किया जायेगा और अधिक सशक्त

हाल ही में ,पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय (MTA) ने ‘वन अधिकार अधिनियम’ (The Forest Rights Act- FRA) के अधिक प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संयुक्त पत्र (Joint Communication -JC) पर हस्ताक्षर किए हैं ।

संयुक्त पत्र वनवासियों के अधिकारों और कर्तव्यों की ओर उन्मुख है तथावन प्रबंधन में उनकी भागीदारी में सुधार करता है।

संयुक्त पत्र की मुख्य विशेषताएं

  • राज्य वन विभाग को सामुदायिक वन संसाधन संरक्षण और प्रबंधन योजना तैयार करने के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत संस्थाओं/समितियों को सहायता प्रदान करनी चाहिए।
  • वनवासी अनुसूचित जनजातियों (Forest Dwelling Scheduled Tribes: FDST) और अन्य पारंपरिक वनवासियों (Other Traditional Forest Dwellers: OTFD) की आजीविका की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए ‘MoEFCC’ तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय के मध्य समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए।

वन अधिकार अधिनियम, 2006 के बारे में

यह अधिनियम वन संसाधनों के लिए FDSTs (निवास और अपनी आजीविका की आवश्यकता के लिए वनों पर निर्भर) तथा OTFDs (कोई भी सदस्य, जिसने दिसंबर 2005 से पूर्व कम से कम तीन पीढ़ियों तक निवास किया है और वनों पर निर्भर है) के अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है।

अधिनियम में शामिल अधिकार:

  • व्यक्तिगत अधिकारः निवास और स्व-कृषि के अधिकार।
  • सामुदायिक अधिकारः स्वामित्व का अधिकार, लघु वनोपज के संग्रहण, उपयोग और निपटान का अधिकार; स्वस्थाने पुनर्वास का अधिकार आदि। ग्राम सभा को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक अधिकारों की प्रकृति और सीमा के निर्धारण के लिए प्रक्रिया आरंभ करने का अधिकार है।
  • कार्यान्वयन से संबंधित मुद्देः जनजाति, राजस्व और वन विभाग के मध्य समन्वय की कमी, सामुदायिक वन अधिकारों की मान्यता का अभाव, भूमि अभिलेखों की कमी के कारण दावों की अस्वीकृति आदि।

स्रोत – पीआईबी

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