वन्य जीवन संशोधन विधेयक 2021 (संरक्षण), संसद में प्रस्तुत
हाल ही में वन्य जीवन संशोधन विधेयक 2021 (संरक्षण), संसद में प्रस्तुत किया गया है ।
यह विधेयक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन करना है।
यह संशोधन मूल अधिनियम (1972) को वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन, 1973 (CITES) की आवश्यकताओं का अनुपालन करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य पर केंद्रित है।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएं
- सुव्यवस्थित वन्यजीव प्रबंधन और निगरानी के लिए राज्य वन्यजीव बोडों की स्थायी समितियों की स्थापना करना।
- अधिनियम के तहत शामिल अनुसूचियों की संख्या को 6 से घटाकर 4 प्रमुख अनुसूचियों के रूप में युक्तिसंगत बनाना।
- अनुसूची वन्यजीवों का एक वर्गीकरण है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितने गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
वन्यजीवों की अनुसूची
- सर्वाधिक संरक्षण प्राप्त वन्य जीवों (जैसे बाघ) की श्रेणी है।
- संरक्षित क्षेत्रों के लिए अधिक कठोर संरक्षण सुनिश्चित करने हेतु वन्यजीव प्रबंधन योजना को अब वन्यजीव अधिनियम काभाग बना दिया गया है।
- आक्रामक विदेशी प्रजातियों के नियंत्रण को सक्षम करना। साथ ही, स्वामित्व प्रमाण-पत्र वाले व्यक्ति द्वारा जीवित हाथियों के स्थानांतरण या परिवहन की अनुमति प्रदान करना।
- वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विनियमन के लिए मूल अधिनियम में एक नया अध्याय (VB) सम्मिलित करना।
CITES के बारे में
- CITES सरकारों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वन्यजीवों और पौधों की प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्रजातियों के अस्तित्व के समक्ष खतरा उत्पन्न न हो।
- यह संधि वर्ष 1975 में लागू हुई थी और वर्तमान में भारत सहित 183 देश इसके पक्षकार हैं।
- CITES द्वारा पूर्व में भारत को एक बार ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है। यदि दूसरी बार भी इसे ब्लैक लिस्ट किया जाता है, तो भारत महत्वपूर्ण पादपों की प्रजातियों का व्यापार करने के लिए पात्र नहीं रह जाएगा।
स्रोत – द हिन्दू