वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने राज्य सभा में वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 प्रस्तुत किया है।
- यह विधेयक वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन के लिए पेश किया गया है।
इस विधेयक के निम्नलिखित उद्देश्य हैं.
- संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण प्रयासों को मजबूत करना,
- वन्यजीवों के अवैध व्यापार के लिए सजा में वृद्धि करना,
- कानून के तहत संरक्षित प्रजातियों की संख्या में वृद्धि करना, तथा
- वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES ) के प्रावधानों को लागू करना ।
विधेयक के मुख्य प्रावधान
- अनुसूचियों की संख्या 6 से घटाकर 4 की गई हैं-विशेष रूप से संरक्षित जानवरों के लिए 2 अनुसूचियां वनस्पतियों के लिए 1 अनुसूची, तथा
- CITES के तहत सूचीबद्ध प्रजातियों के लिए 1 नई अनुसूची ।
- पीड़कजंतुओं (वर्मिन) से संबंधित अनुसूची को हटा दिया गया है। पीड़कजंतु ऐसे जानवर हैं, जो मनुष्यों, फसलों, पशुओं या संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं।
- CITES के अंतर्गत बाध्यताएं : केंद्र सरकार प्रबंधन प्राधिकरण और वैज्ञानिक प्राधिकरण की नियुक्ति करेगी ।
प्रबंधन प्राधिकरणः यह वनस्पति एवं वन्यजीवों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए निर्यात / आयात संबंधी परमिट प्रदान करेगा ।
वैज्ञानिक प्राधिकरणः व्यापार की जा रही वन्यजीव या वनस्पति प्रजाति के अस्तित्व पर पड़ने वाले प्रभाव से संबंधित सभी पहलुओं पर सलाह देगा ।
आक्रामक विदेशी प्रजातियां (Invasive Alien Species) : केंद्र सरकार को आक्रामक विदेशी प्रजातियों के आयात, व्यापार, अपने पास रखने या प्रसार को विनियमित या प्रतिबंधित करने का अधिकार दिया गया है।
अभयारण्यों का नियंत्रणः एक राज्य में स्थित सभी अभयारण्यों के नियंत्रण, प्रबंधन और संरक्षण का कार्य चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (CWW) को सौंपा गया है ।
कंजर्वेशन रिज़र्व (CR): राज्य / केंद्र सरकारें वनस्पतियों और जीवों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों के आस-पास के क्षेत्रों को कंज़र्वेशन रिज़र्व घोषित कर सकती हैं।
बंदी (कैप्टिव) जानवरों को सौंपनाः कोई भी व्यक्ति किसी भी बंदी जानवर या जानवर उत्पादों को चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को स्वेच्छा से सौंप सकता |
- CITES सरकारों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वन्य जीवों और वनस्पतियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से इनकी प्रजातियों के अस्तित्व के समक्ष खतरा उत्पन्न न हो।
- यह वर्ष 1975 में लागू हुआ था। वर्तमान में, भारत सहित 184 देश इसके पक्षकार हैं।
प्रस्तावित अनुसूचियां
- अनुसूची I: वन्यजीव प्रजातियां, जिन्हें उच्चतम स्तर का संरक्षण प्राप्त है ।
- अनुसूची II: वन्यजीव प्रजातियां, जिन्हें अपेक्षाकृत कम संरक्षण प्राप्त है ।
- अनुसूची III: संरक्षित वनस्पति प्रजातियां ।
- अनुसूची IV: CITES के परिशिष्टों में सूचीबद्ध प्रजातियां ।
स्रोत – द हिन्दू