पर्यावरणीय मंजूरी के बिना होंगे वनों में चिड़ियाघर (Zoo) स्थापित
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) के एक प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। जिसके तहत पर्यावरणीय मंजूरी के बिना अब वनों में भी चिड़ियाघर (Zoo) स्थापित किए जा सकते हैं।
इसमें वन संरक्षण अधिनियम (FCA), 1980 के तहत वन भूमि पर CZA द्वारा अनुमोदित चिड़ियाघरों को वानिकी गतिविधि मानने का प्रस्ताव किया गया था।
वन संरक्षण अधिनियम के तहत चिड़ियाघरों, वन्य जीव बचाव केंद्रों आदि को गैर-वानिकी गतिविधि के रूप में स्वीकार किया गया है। इनकी स्थापना के लिए केंद्र सरकार से वन मंजूरी लेना अनिवार्य है।
अब, चिड़ियाघरों को FCA के तहत अलग-अलग मंजूरी लेने से छूट दी जाएगी।
वन संरक्षण अधिनियम के बारे में
- इसे 42वें संविधान संशोधन के बाद लाया गया था। संशोधन के द्वारा वन विषय को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया गया था।
- यह कानून वनों की कटाई की समस्या से निपटने के लिए लाया गया था।
- इस कानून ने राज्यों को गैर वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि का उपयोग करने से पहले केंद्र सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया है।
- इस तरह के पुनर्वर्गीकरण की सिफारिश करने के लिए एक वन सलाहकार समिति भी बनाई गयी है।
- गैर-वानिकी उद्देश्य का अर्थ है पुनर्वनीकरण के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए किसी भी वन भूमि या उसके हिस्से को साफ करना।
- चाय, कॉफी, मसाले, रबड़, ताड़, तेल युक्त पौधे, बागवानी फसलों या औषधीय पौधों की खेती भी गैर-वानिकी उद्देश्य में आती है।
- हालांकि, वनों और वन्यजीवों के संरक्षण, विकास एवं प्रबंधन से संबंधित किसी भी कार्य को गैर-वन प्रयोजन के रूप में नहीं माना जाता है।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) के बारे में
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 देश की समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण में राष्ट्रीय प्रयास को सहायता और मजबूती प्रदान करने के लिए CZA (1992) की स्थापना का प्रावधान करता है।
- CZA में एक अध्यक्ष, दस सदस्य और एक सदस्य सचिव होते हैं।
- भारत में प्रत्येक चिड़ियाघर को अपने संचालन के लिए CZA की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
स्रोत –द हिन्दू