HIV की खोज करने वाले विषाणु वैज्ञानिक ‘ल्यूक मॉन्टैग्नियर’ का निधन
हाल ही में ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले विषाणु विज्ञानी (वायरोलॉजिस्ट) का निधन हो गया है।
ल्यूक मॉन्टैग्नियर को HIV की खोज के लिए वर्ष 2008 में चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। HIV संक्रमण, एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स/AID) का कारण बनता है।
HIV के बारे में
HIV एक वायरस है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है। इसका उपचार न किए जाने पर यह एड्स (एक्वायर्ड इम्युनोडिफीसिअन्सी सिंड्रोम) को जन्म दे सकता है।
यह वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली को लक्षित करता है। यह कई संक्रमणों और कुछ प्रकार के कैंसर रोगों के विरुद्ध लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। ऐसे संक्रमणों एवं कैंसर रोगों से केवल स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली ही निपट सकती है।
HIV संक्रमण HIV-1 या HIV-2 नामक दो रेट्रोवायरस में से एक के कारण हो सकता है। HIV-1विश्व में अधिक व्याप्त है।
प्रभावी दवा के अभाव में संक्रमित लोगों में HIV तीन चरणों में विकसित होता है–
- तीव्र HIV संक्रमण
- दीर्घकालिकHIV संक्रमण
- एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स /AIDS)
HIV, संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ जैसे रक्त, वीर्य, पूर्व–वीर्य द्रव, योनि और मलाशय केतरल पदार्थ तथा संक्रमित महिला के स्तन के दूध आदि के माध्यम से संचरित हो सकता है।
उपचारः
- इसे तीन या अधिक एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं के संयोजन से बनी उपचार विधि द्वारा नियंत्रित (ठीक नहीं) किया जा सकता है। लेकिन, इस विधि से किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो सकती है और वह अपनी क्षमता को फिर से प्राप्त कर सकता है।
- भारत में 21 लाख लोग HIV से संक्रमित हैं। यह विश्व में कुल संक्रमित लोगों की तीसरी सर्वाधिक संख्या है।
स्रोत –द हिन्दू