लोक लेखा समिति (PAC) की बैठक
हाल ही में संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee- PAC) ने अगले वर्ष हेतु अपना एजेंडा निर्धारित कर दियाहै।
इस वर्ष‘वैक्सीन उत्पादन और वितरण’ के विषय पर आम सहमति नहीं बन पाने के कारण लोक लेखा समिति ने इस वर्ष के एजेंडे में इसे शामिल नहीं किया है ।
विदित हो कि, जब तक किसी भी विषय पर, समिति के सभी सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं होती है,तब तक उस विषय पर विचार-विमर्श नहीं किया जा सकता।
लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee- PAC)
- लोक लेखा समिति को प्रतिवर्ष गठित किया जाता है। इस समिति में अधिकतम सदस्यों की संख्या 22 होती है, जिनमें से पंद्रह सदस्य लोकसभा से और सात सदस्य राज्यसभा से चुने जाते हैं।सदस्यों का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है।
- समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा की जाती है। वर्ष 1967 से, समिति के अध्यक्ष का चयन, विपक्षीय पार्टी के सदस्यों में से किया जाता है।
- इस समिति का मुख्य कार्य नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट को संसद में रखवाना और इसकेबाद इसकी जांच करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
सदन की समितियों में लोक लेखा समिति सबसे पुरानी समिति है।सबसेपहले लोक लेखा समिति का गठन वर्ष 1921 में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के अन्तर्गत किया गया था।
लोक लेखा समिति की सीमाएं:
- सामान्य तौर पर, यह नीतिगत सवालों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
- यह व्यय होने के पश्चात ही, इन पर निगरानी कर सकती है। इसमें व्ययों को सीमित करने संबंधी कोई शक्ति निहित नहीं होती है।
- यह दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
- इसके द्वारा दी जाने वाली अनुशंसाएं मात्र परामर्शी होती है। मंत्रालयों द्वारा इन सिफारिशों की उपेक्षा की जा सकती है।
- इसके लिए विभागों द्वारा व्यय पर रोक लगाने की शक्ति नहीं होती है।
- यह मात्र एक कार्यकारी निकाय है और इसे कोई भीआदेश निर्गत करने की शक्ति नहीं है। इसके निष्कर्षों पर केवल संसद ही अंतिम निर्णय ले सकती है।
स्रोत – पीआईबी